मणिपुर में जनता दल (यूनाइटेड) ने भाजपा से अपना समर्थन वापस ले लिया है। पार्टी के एकमात्र विधायक, मोहम्मद अब्दुल नासिर, अब विधानसभा में विपक्षी बेंच पर बैठेंगे। जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने बुधवार को जानकारी दी कि पार्टी ने मणिपुर इकाई के अध्यक्ष ख. बिरेन सिंह को अनुशासनहीनता के कारण पद से हटा दिया है।
राजीव रंजन ने कहा, “हमारी पार्टी ने एनडीए को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत की है और भविष्य में भी ऐसा करेगी।”
इससे पहले ख. बिरेन सिंह ने मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को पत्र लिखकर कहा कि 2022 के विधानसभा चुनावों में जेडीयू के छह उम्मीदवार जीतकर आए थे, लेकिन कुछ महीनों बाद उनमें से पांच विधायक भाजपा में शामिल हो गए। इन विधायकों के खिलाफ दसवीं अनुसूची के तहत मामला स्पीकर के ट्रिब्यूनल में लंबित है।
पत्र में यह भी कहा गया कि जेडीयू के “इंडिया ब्लॉक” में शामिल होने के बाद पार्टी ने भाजपा सरकार से समर्थन वापस ले लिया। विधानसभा के पिछले सत्र में स्पीकर ने पार्टी के अकेले विधायक मोहम्मद अब्दुल नासिर को विपक्षी बेंच पर बैठने की व्यवस्था की।
हालांकि, जेडीयू के इस फैसले का मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह की सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। भाजपा के पास 60 सदस्यीय विधानसभा में 37 सीटें हैं, और उन्हें नागा पीपुल्स फ्रंट के 5 विधायकों और 3 निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है।
2022 के चुनावों में जेडीयू ने मणिपुर में 12% वोट शेयर के साथ 6 सीटें जीती थीं। लेकिन उसी वर्ष पांच विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “क्या यह उचित है? क्या यह संवैधानिक है? क्या यह स्थापित मानदंडों के अनुसार है?”
नीतीश कुमार, जो पिछले साल एनडीए में वापस लौटे थे, अब भाजपा के साथ मिलकर बिहार सरकार चला रहे हैं। बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होने हैं।