छत्तीसगढ़ और गुजरात में 2023-24 के दौरान खपत और वेतन वृद्धि का स्तर अखिल भारतीय औसत से अधिक रहा है। यह जानकारी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (इंड-रा) की एक ताजा रिपोर्ट में सामने आई है। इंड-रा के सीनियर एनालिस्ट और अर्थशास्त्री पारस जसराी के अनुसार, 2023-24 में अधिकांश राज्यों (12) की श्रेणी ‘उच्च खपत और निम्न वेतन वृद्धि’ में रही। इन राज्यों में रोजगार के अवसर तुलनात्मक रूप से कम हैं।
खपत और वेतन वृद्धि का विश्लेषण
इन राज्यों में खपत वृद्धि 10.5 प्रतिशत से 17.7 प्रतिशत के बीच रही, जबकि वेतन वृद्धि नकारात्मक 6.5 प्रतिशत से 3.7 प्रतिशत के बीच दर्ज की गई। पारस जसराी ने कहा कि इन राज्यों में उच्च खपत का एक कारण श्रमिकों का स्थानांतरण और उधारी पर आधारित खपत हो सकता है, जबकि वेतन वृद्धि कमजोर रही है।
ग्रामीण-शहरी खपत अंतर में कमी
इसी बीच, हाउसहोल्ड कंजम्पशन एक्सपेंडिचर सर्वे (HCES) के अनुसार, 2023-24 में ग्रामीण क्षेत्रों में मासिक प्रति व्यक्ति खर्च (MPCE) में 9 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई। ग्रामीण-शहरी खपत में अंतर 2011-12 के 84 प्रतिशत से घटकर 2023-24 में 70 प्रतिशत हो गया है।
ग्रामीण खपत का स्थिर वृद्धि
रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रामीण खपत ने शहरी खपत को 2009-10 से ही पीछे छोड़ दिया है और यह प्रवृत्ति 2023-24 तक जारी रही। ग्रामीण MPCE की वृद्धि 9.2 प्रतिशत रही, जबकि शहरी MPCE की वृद्धि 8.3 प्रतिशत पर स्थिर रही।
विवेकाधीन खर्च में गिरावट
डेटा में विवेकाधीन खर्च में गिरावट दिखाई दी। 2022-23 और 2023-24 में खाद्य खपत में 11.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं और अन्य पर खर्च स्थिर रहा।
कपड़े और फुटवियर पर खर्च में वृद्धि
दिलचस्प बात यह है कि 2022-23 और 2023-24 में कपड़े और फुटवियर पर खपत 17.5 प्रतिशत बढ़ी, जो 2011-12 और 2022-23 के बीच 7.5 प्रतिशत थी। इसके पीछे एक कारण कपड़े और फुटवियर पर 4 प्रतिशत से कम की महंगाई दर और रबी फसल उत्पादन में सुधार हो सकता है, जो 2023-24 में तीन वर्षों के उच्चतम स्तर 1.4 प्रतिशत पर रहा।