बेंगलुरु: एक निजी कंपनी में कार्यरत इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या ने देशभर में पुरुष अधिकारों को लेकर बहस छेड़ दी है। उत्तर प्रदेश के रहने वाले अतुल का शव बेंगलुरु स्थित उनके घर में फांसी से लटका हुआ पाया गया। उन्होंने आत्महत्या करने से पहले 24 पन्नों का एक सुसाइड नोट लिखा और 90 मिनट का वीडियो रिकॉर्ड किया। इसमें उन्होंने अपनी पत्नी पर झूठे आरोप लगाने और लगातार उत्पीड़न करने के गंभीर आरोप लगाए।
पत्नी पर झूठे आरोप लगाने और केस दर्ज कराने के आरोप
अतुल ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि उनकी पत्नी ने उन पर और उनके परिवार पर नौ केस दर्ज कराए। इनमें तीन मामले हाई कोर्ट में और छह निचली अदालत में चल रहे थे। एक मामले में उनकी पत्नी ने उनके परिवार पर दहेज उत्पीड़न, अप्राकृतिक यौन शोषण और यहां तक कि हत्या का आरोप लगाया था। बाद में पत्नी ने स्वीकार किया कि उनके पिता की मृत्यु स्वास्थ्य समस्याओं के कारण हुई थी, न कि हत्या के कारण।
परिवार का बयान: “हर कानून महिलाओं के पक्ष में”
अतुल के पिता पवन कुमार ने बताया कि उनका बेटा गहरे तनाव में था लेकिन उसने परिवार पर इसका असर नहीं पड़ने दिया। उन्होंने कहा, “अतुल ने हमें कभी यह अहसास नहीं होने दिया कि वह कितना दर्द में था। वह बेंगलुरु से जौनपुर 40 बार से ज्यादा आया-जाया करता था। वह न्याय की उम्मीद में लड़ रहा था।”
अतुल के छोटे भाई विकास कुमार ने बताया कि उनकी भाभी ने अलगाव के आठ महीने बाद तलाक का केस दर्ज कर उनके भाई और पूरे परिवार पर झूठे आरोप लगाए। उन्होंने कहा, “हर कानून महिलाओं के लिए है, पुरुषों के लिए कुछ भी नहीं। मेरे भाई ने अपनी लड़ाई लड़ी लेकिन वह हार गया।”
सरकार से न्याय की गुहार
अतुल के भाई ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा, “अगर मेरे भाई की सच्चाई साबित हो, तो उसे न्याय मिले। वरना सरकार सबूत दे कि वह गलत था। उसके सुसाइड नोट में जिन जज का नाम है, उनके खिलाफ उचित जांच होनी चाहिए।”
सामाजिक और कानूनी बहस
यह घटना पुरुष अधिकारों और महिलाओं के खिलाफ झूठे मामलों के दुरुपयोग पर गंभीर सवाल उठाती है। सोशल मीडिया पर इस मामले ने पुरुषों के लिए न्याय की मांग और मौजूदा कानूनी ढांचे की समीक्षा की बहस को तेज कर दिया है।