सरकार अगले साल से जनगणना का कार्य शुरू करने जा रही है, जो 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है। इस बार जनगणना में जातिगत गणना को शामिल करने पर भी सुझाव लिए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, जनगणना के पूरा होने के बाद परिसीमन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जिसके अंतर्गत निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण किया जाएगा। इसके बाद महिलाओं के लिए आरक्षण लागू किया जाएगा। ये दोनों प्रक्रियाएं जनगणना के आंकड़ों पर आधारित होंगी।
2002 में तत्कालीन एनडीए सरकार ने 84वें संविधान संशोधन के जरिए परिसीमन को 25 साल के लिए टाल दिया था, ताकि इसे 2026 के बाद की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर किया जा सके। हालांकि, अब सरकार 2027 में परिसीमन शुरू करके इसे एक वर्ष में पूरा करने की योजना बना रही है, ताकि 2029 के लोकसभा चुनाव नए परिसीमन और महिला आरक्षण के लागू होने के बाद किए जा सकें।
वर्तमान में रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त मृदुल कुमार नारायण का कार्यकाल अगस्त 2026 तक बढ़ा दिया गया है।
विभिन्न राजनीतिक दल, जैसे कांग्रेस, जद(यू), लोक जनशक्ति पार्टी, अपना दल और अन्य ने भी जनगणना में जातिगत गणना को शामिल करने की मांग की है। आरएसएस ने भी जातिगत गणना का समर्थन करते हुए कहा है कि सही आंकड़े जुटाना एक स्थापित प्रक्रिया है। हालांकि, जातिगत गणना का अंतिम निर्णय अभी तक नहीं लिया जा सका है।