राज्य में वर्षा की स्थिति: बीजापुर में सर्वाधिक, बेमेतरा में सबसे कम

राज्य शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा 13 अक्टूबर 2024 तक संकलित जानकारी के अनुसार, इस साल एक जून 2024 से अब तक राज्य में औसतन 1174.9 मिमी वर्षा दर्ज की जा चुकी है। राज्य के विभिन्न जिलों में वर्षा का स्तर अलग-अलग रहा है, जिसमें बीजापुर जिला सबसे अधिक वर्षा प्राप्त करने वाला जिला रहा, जबकि बेमेतरा में सबसे कम वर्षा दर्ज की गई है।

बीजापुर में सर्वाधिक वर्षा

इस अवधि के दौरान, बीजापुर जिले में 2444.3 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई, जो राज्य में सबसे अधिक है। बीजापुर की भौगोलिक स्थिति और बारिश की प्रकृति इसे अन्य जिलों की तुलना में अधिक वर्षा प्राप्त करने वाला जिला बनाती है। यह मात्रा राज्य की औसत वर्षा से काफी अधिक है और क्षेत्र की जल संसाधनों की समृद्धि को दर्शाती है।

बेमेतरा में सबसे कम वर्षा

इसके विपरीत, बेमेतरा जिले में सबसे कम 609.0 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई है। बेमेतरा की जलवायु परिस्थितियों और भौगोलिक स्थिति के कारण यहां कम वर्षा हुई, जो खेती और अन्य जल-आधारित गतिविधियों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है।

अन्य जिलों की वर्षा स्थिति

राज्य स्तरीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, राज्य के अन्य जिलों में भी वर्षा का स्तर विविध रहा है। सरगुजा जिले में 640.9 मिमी, सूरजपुर में 1167.8 मिमी, बलरामपुर में 1746.9 मिमी, जशपुर में 1076.0 मिमी, और कोरिया जिले में 1132.4 मिमी वर्षा दर्ज की गई। इसी प्रकार, रायपुर में 961.1 मिमी, बलौदाबाजार में 1189.5 मिमी, गरियाबंद में 1122.0 मिमी, महासमुंद में 974.9 मिमी, और धमतरी में 1043.5 मिमी औसत वर्षा हुई।

दुर्ग संभाग में वर्षा की स्थिति

दुर्ग संभाग के अंतर्गत जिलों में भी वर्षा की स्थिति में विविधता देखी गई। दुर्ग जिले में 658.4 मिमी, कबीरधाम में 929.8 मिमी, और राजनांदगांव में 1130.1 मिमी वर्षा दर्ज की गई। मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी में 1243.2 मिमी, और खैरागढ़-छुईखदान-गंडई में 860.4 मिमी वर्षा हुई।

दक्षिण बस्तर और सरगुजा संभाग

दक्षिण बस्तर संभाग के अंतर्गत आने वाले जिलों में भी अच्छी वर्षा हुई। बस्तर में 1280.9 मिमी, कोण्डागांव में 1212.4 मिमी, और कांकेर में 1430.4 मिमी वर्षा हुई। नारायणपुर में 1466.0 मिमी, दंतेवाड़ा में 1569.7 मिमी, और सुकमा में 1706.7 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जो इन क्षेत्रों की समृद्ध जल संसाधनों को सुनिश्चित करती है।

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