नई दिल्ली। हांगझोऊ एशियाई खेलों में भारत ने इतिहास रच दिया है। ‘इस बार 100 पार’ का लक्ष्य लेकर उतरे भारतीय दल ने 100 से ज्यादा पदक पक्के कर लिए हैं। स्पर्धाओं के 13वें दिन भारत ने हॉकी के स्वर्ण सहित नौ पदक जीतकर पदकों की संख्या 95 तक पहुंचा दी है। सौ पदकों का पार होना इसलिए तय है क्योंकि कई स्पर्धाओं में हम फाइनल में हैं, बस मेडल का रंग तय होना है। एशियाई खेलों का समापन समारोह आठ अक्तूबर (रविवार) को है।
शुक्रवार को कुश्ती में तीन कांस्य पदक मिले। तीरंदाजी में एक रजत, एक कांस्य, ब्रिज में रजत, बैडमिंटन में एक कांस्य के अलावा सेपकटेकरॉ में मिला पदक तो ऐतिहासिक है। हॉकी के स्वर्ण पदक की सर्वाधिक खुशी है क्योंकि इसके साथ अगले साल होने वाले पेरिस ओलंपिक का टिकट भी पक्का हो गया है। एशियाई खेलों के आखिरी दिन यानी शनिवार को सात अन्य पदक आने हैं और पदकों का आंकड़ा 100 पार हो जाएगा। कंपाउंड तीरंदाजी (3), कबड्डी (2), बैडमिंटन (1) और पुरुष क्रिकेट (1) में भारत को पदक मिलना तय है।
यह एशियाई खेलों के इतिहास में भी पहली बार है जब भारत ने 20 से अधिक स्वर्ण पदक जीते हैं। इससे पहले सबसे ज्यादा स्वर्ण 72 साल पहले यानी 1951 दिल्ली एशियाई खेलों में आए थे। तब भारत ने 15 स्वर्ण जीते थे। भारत ने जकार्ता में हुए पिछले एशियाई खेलों के 70 पदकों के कीर्तिमान को तो पहले ही ध्वस्त कर दिया था और अब तो 100 पदकों का संकल्प लेकर चीन जाने वाले भारतीय खिलाड़ियों ने अपने लक्ष्य को भी सिद्ध भी कर लिया है। भारतीय खिलाड़ी कई स्पर्धाओं के फाइनल में हैं। इस साल निशानेबाजी और एथलेटिक्स जैसे खेलों में भारत ने शानदार प्रदर्शन किया।
भारतीय निशानेबाजों ने एशियाई खेलों में इतिहास रच दिया। भारतीय शूटर्स ने हांगझोऊ एशियाई खेलों में 22 पदक जीते। इनमें सात स्वर्ण, नौ रजत और छह कांस्य पदक शामिल हैं। भारत ने निशानेबाजी में किसी एक एशियाड में सबसे ज्यादा स्वर्ण समेत कुल पदक जीतने के मामले में 17 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया। 2006 के दोहा एशियाई खेलों में भारत ने निशानेबाजी में तीन स्वर्ण, पांच रजत और छह कांस्य समेत 14 पदक जीते थे।
भारत ने एथलेटिक्स में इस बार 29 पदक जीते। इनमें छह स्वर्ण, 14 रजत और नौ कांस्य शामिल हैं। भारत ने इससे पहले ट्रैक एंड फील्ड में सबसे ज्यादा पदक 1951 दिल्ली एशियाई खेलों में जीते थे। तब भारत को 34 पदक मिले थे। इनमें 10 स्वर्ण, 12 रजत और 11 कांस्य पदक शामिल थे। भारत 34 पदक के रिकॉर्ड को तोड़ने से चूक गया।
इसके अलावा स्क्वॉश में पहली बार भारत ने दो स्वर्ण, एक रजत एक कांस्य जीता। वहीं, तीरंदाजी में अब तक तीन स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य समेत पांच पदक जीत चुके हैं। क्रिकेट में महिला टीम ने स्वर्ण पदक जीता, जबकि पुरुष टीम शनिवार को स्वर्ण पदक मुकाबले में अफगानिस्तान का सामना करेगी।
घुड़सवारी में भारत ने 42 साल बाद स्वर्ण पदक जीता, चाहे वह व्यक्तिगत हो या टीम स्पर्धा। नौकायन और रोइंग जैसे खेलों ने भी भारत की काफी मदद की। इसके साथ ही भारतीय पुरुष बैडमिंटन टीम ने ऐतिहासिक रजत पदक जीता। टीम एक कड़े फाइनल में चीन से हार गई। कई अन्य भारतीय एथलीट सात अक्तूबर को खेलते दिखेंगे। इससे भारत के पास अपने पदकों की रिकॉर्ड संख्या को और बेहतर करने का मजबूत मौका है।
टेबल टेनिस महिला टीम सुतीर्था मुखर्जी और अयहिका मुखर्जी ने पहली बार इस स्पर्धा में पदक दिलाया, मेरठ की पारूल चौधरी का महिलाओं की 5000 मीटर में स्वर्ण यादगार, भालाफेंक में पहली बार नीरज चोपड़ा और किशोर जेना के रूप में दो भारतीय पदक मंच पर पहुंचे। केनाइंग में रूड़की के अर्जुन सिंह और मणिपुर के सुनील सिंह सलाम का युगल 1000 मीटर में ऐतिहासिक कांस्य। सेपकटेकरा में महिला टीम का कांस्य।