बॉंबे हाईकोर्ट की गंभीर टिप्पणी : पॉक्सो एक्ट का उद्देश्य नाबालिगों में सहमति से बने संबंध पर उन्हें अपराधी साबित करना नहीं

मुंबई। नाबालिगों के सहमति से बनाए गए संबंधों के लिए उन्हें दंडित करने और अपराधी साबित करने के लिए यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) कानून नहीं बना है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी एक यौन उत्पीड़न मामले में आरोपी को जमानत देते हुए की। मामले में आरोपी 23 साल का एक युवक है, जिसे एक नाबालिग से दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 

न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई की एकल पीठ ने 26 अप्रैल को पारित अपने आदेश में यह कहा है। उन्होंने कहा कि यह सच है कि मामले में पीड़िता नाबालिग थी, लेकिन उसके बयान से प्रथम दृष्टया संकेत मिलता है कि संबंध दोनों की सहमति से बने थे। 

हाईकोर्ट ने कहा कि यह ध्यान देने की जरूरत है कि पॉक्सो अधिनियम बच्चों को यौन हमला, यौन उत्पीड़न आदि के अपराधों से बचाने के लिए बनाया गया है। इसमें बच्चों के हित और भलाई की रक्षा के लिए कड़े दंडात्मक प्रावधान हैं।  इसका उद्देश्य निश्चित रूप से नाबालिगों को रोमांस या सहमति के संबंध में दंडित करना और उन्हें अपराधी के रूप में चिह्नित करना नहीं है। 

अदालत इमरान शेख नाम के एक युवक की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जिसे मुंबई पुलिस ने एक लड़की के अपहरण और दुष्कर्म के मामले में गिरफ्तार किया था। लड़की की मां की शिकायत पुलिस ने युवक के खिलाफ केस दर्ज किया था। लड़की ने पुलिस को बताया था कि दिसंबर, 2020 को उसने अपने माता पिता का घर खुद छोड़ दिया था। उसका अपहरण नहीं हुआ था। हाईकोर्ट ने जमानत देते हुए कहा कि युवक फरवरी, 2021 से हिरासत में है।