केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को एक बड़ी घोषणा करते हुए 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। यह आयोग एक करोड़ से अधिक केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन समायोजन की सिफारिश करेगा। रिपोर्ट्स के अनुसार, 8वां वेतन आयोग 1 जनवरी, 2026 से प्रभावी होगा।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को कैबिनेट ब्रीफिंग के दौरान कहा, “प्रधानमंत्री ने सभी केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए 8वें केंद्रीय वेतन आयोग को मंजूरी दे दी है।” उन्होंने यह भी कहा कि आयोग के अध्यक्ष और दो सदस्यों की नियुक्ति जल्द ही की जाएगी।
50 लाख कर्मचारियों को होगा फायदा
सरकारी सूत्रों के अनुसार, लगभग 50 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारी, जिनमें रक्षा कर्मी भी शामिल हैं, इस निर्णय से लाभान्वित होंगे। इसके अलावा, लगभग 65 लाख पेंशनभोगियों को भी अपने पेंशन में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।
दिल्ली में लगभग 4 लाख कर्मचारी, जिनमें रक्षा और दिल्ली सरकार के कर्मचारी भी शामिल हैं, इस फैसले से लाभान्वित होंगे। सूत्रों ने कहा कि यह कदम सरकारी कर्मचारियों की जीवन गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ उपभोग और आर्थिक वृद्धि को भी बढ़ावा देगा।
वेतन में हो सकती है 186% की बढ़ोतरी
संभावना है कि 8वें वेतन आयोग के तहत केंद्रीय कर्मचारियों की न्यूनतम वेतन में 186% की बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि, यह सिर्फ एक अनुमान है और वास्तविक बढ़ोतरी का पता 2026 में आयोग की रिपोर्ट आने के बाद ही चलेगा। नेशनल काउंसिल ऑफ ज्वाइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (JCM) के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने पहले कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि फिटमेंट फैक्टर कम से कम 2.86 होगा, जो 7वें वेतन आयोग के 2.57 से 29 बेसिस प्वाइंट अधिक है।
अगर सरकार 2.86 के फिटमेंट फैक्टर को मंजूरी देती है, तो सरकारी कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन बढ़कर ₹51,480 हो सकता है, जो वर्तमान में ₹18,000 है। इसी तरह, पेंशन भी 186% बढ़कर ₹25,740 हो सकती है, जो अभी ₹9,000 है।
8वां वेतन आयोग: पृष्ठभूमि
वेतन आयोग एक सरकारी-नियुक्त निकाय है जो सरकारी कर्मचारियों के वेतन संरचना, भत्ते और लाभों का निर्धारण करता है। इसके सिफारिशें लाखों कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं। स्वतंत्रता के बाद से भारत में सात वेतन आयोग गठित किए जा चुके हैं।
केंद्रीय वेतन आयोग आमतौर पर हर दशक में एक बार गठित किया जाता है और यह विभिन्न आर्थिक कारकों, जैसे मुद्रास्फीति को ध्यान में रखकर वेतन संरचना में समायोजन का प्रस्ताव करता है।