भारत में पहली बार आयोजित होगी फॉर्मूला-ई रेस..

भारत में पहली बार होने जा रही फॉर्मूला-ई रेस के खत्म होने के बाद विजेता ड्राइवर पोडियम पर अपनी जीत का जश्न शैंपेन के साथ नहीं मना पाएंगे। इलेक्ट्रिक कार से होने वाली यह रेस शनिवार को होगी। ड्राइवर शैंपेन के बजाय कंफेटी कैनन से जीत का जश्न मनाएंगे। कंफेटी कैनन से रंग-बिरंगे कागज और चमकीले पॉलीथीन के टुकड़े बाहर आते हैं।शैंपेन में आम तौर पर शराब का मिश्रण होता है और इस्लाम मानने वाले देशों में इस जश्न को ऐसे पेय पदार्थ के साथ मनाया जाता है जिसमें शराब शामिल नहीं हो। मोटर स्पोर्ट के खेल में रेस जीतने के बाद शुरुआती तीन ड्राइवर पोडियम पर शैंपन की बोतल को खोलकर इसका जश्न मनाते हैं।स्थानीय रीति-रिवाजों को ध्यान में रखते हुए हैदराबाद रेस के सभी हितधारक प्रमोटर ग्रीनको, तेलंगाना सरकार, फॉर्मूला-ई और इसके शैंपेन प्रयोजक मोएट एंड चंदन ने पोडियम पर इस पेय पदार्थ का इस्तेमाल नहीं करने का फैसला लिया।फॉर्मूला-ई के आयोजक स्थानीय परंपरा और रीति-रिवाजों का सम्मान करते हैं और यही कारण है कि सऊदी अरब में पिछले दौर में शैंपेन के बजाय कंफेटी कैनन को शामिल किया था। पिछले साल मुस्लिम बहुल देश इंडोनेशिया में भी जश्न के समय शैंपेन नहीं थी।कार ड्राइवरों ने रेस ट्रैक के तीसरे मोड़ के खतरनाक होने पर चिंता जताई। दो बार के फॉर्मूला-ई चैंंपियन वर्गेन ने कहा कि तीसरे मोड़ में कार को मोड़ने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है और अगर मोड़ पर तेज रफ्तार कार पर नियंत्रण नहीं रहा तो यह दीवार से टकरा जाएगी। वहीं, शुरुआती अभ्यास रेस 35 मिनट की देरी से शुरू हुई।