कलेक्टर का धमधा प्लान, नरवा के माध्यम से भूजल संवर्धन के लिए युद्ध स्तर पर होंगे काम

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। धमधा ब्लॉक खेती के मामले में अग्रणी है। भूमिगत जल में बढ़ोत्तरी हो और सिंचाई के और भी बेहतर व्यवस्था विकसित हो तो इस इलाके में खेती और भी संभावनाओं को लेकर आ सकती है। आपको इसी दिशा में अपनी पूरी ऊर्जा लगानी है। खेती के साथ ग्रामीण आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बना सकें तो किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य आसानी से हासिल कर सकते हैं। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे ने यह बात धमधा में ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों की बैठक में कही।
पहली ब्लॉक स्तरीय बैठक में कलेक्टर डॉक्टर सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे ने अधिकारियों को गौठान को आजीविकामूलक गतिविधियों के केंद्र के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने कहा कि गौठान ग्रामीण अर्थव्यवस्था की धुरी होने चाहिए। गौठान के माध्यम से न केवल पशुधन संवर्धन की कवायद की जाए अपितु यहां नवाचारों को भी बढ़ावा दिया जाए। इसके माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को तेजी से विकसित किया जाए। कलेक्टर ने कहा कि अधिकारी इस बात का चिन्हांकन करें कि किस किस तरह के उत्पाद अपने आसपास के परिवेश के लिए बनाए जा सकते हैं और अभी नहीं बनाए जा रहे हैं अथवा जिनकी बाहर से आपूर्ति की जा रही है। उन्होंने कहा कि हम इस संबंध में प्रशिक्षण प्रदान करेंगे। इसके पश्चात उनकी गुणवत्ता तय करना, इनके विपणन करने के तरीके टारगेट ग्रुप तक उन्हें पहुंचाने के रास्ते भी निकालने होंगे। इन सब के लिए महिला समूह को विशेष रूप से प्रशिक्षित करना होगा। कलेक्टर ने कहा कि पाटन में सांकरा स्थित आजीविका केंद्र में अच्छा काम हो रहा है। वहां महिलाएं साबुन बना रही हैं फेंसिंग पोल बना रही है। ट्री गार्ड बना रही है और भी बहुत सारे उत्पाद बाजार की जरूरतों के मुताबिक उन्होंने चिन्हांकित किये हैं। कलेक्टर ने कहा कि शहरी क्षेत्र में पापड़, अचार इन सब के मार्केट में बड़ी कंपनियां कार्य कर रही हैं। अगर महिला समूह इनका उत्पादन करें और अपने हाथों के स्वाद का जादू दें तो काफी गुंजाइश उनके उत्पाद के लिए हो सकती है क्योंकि खाद्य पदार्थों के बाजार में टेस्ट की विशेष अहमियत होती है। कलेक्टर ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में होने वाले कई उत्पाद शहरों में पसंद किए जाते हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इनका उत्पादन कम होने के कारण से बाजार में इनकी कमी रहती है। इन्हें भी बनाने का काम और शहरी क्षेत्रों में उनके विपणन का कार्य शुरू किया जा सकता है। कलेक्टर ने कहा कि नरवा, गरुवा, घुरूवा, बाड़ी योजना में बाड़ी का कंपोनेंट भी इस क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। धमधा क्षेत्र में बहुत उन्नत कृषि होती है सब्जी के उत्पादन में भी क्षेत्र अग्रणी है अभी बाड़ी के माध्यम से लॉकडाउन में जो प्रयोग किए गए, वह बहुत सफल रहे हैं। धमधा क्षेत्र में उनके सफल होने की गुंजाइश और अधिक इसलिए है कि क्षेत्र कृषि के मामले में काफी आगे है।महिला समूह को इस क्षेत्र में मदद की जाए तो उनके लिए काफी बेहतर रास्ते तैयार होंगे। कलेक्टर ने नरवा योजना की विशेष रूप से समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि भूमिगत जल को बढ़ाना बहुत महत्वपूर्ण है और नरवा योजना इसलिए ही लाई गई है धमधा क्षेत्र जहां पर पानी की दिक्कत महसूस करते हैं वहां नरवा और सिंचाई योजनाओं के माध्यम से पानी बढ़ाकर किसानों की काफी मदद की जा सकती है। उन्होंने कहा कि सिंचाई के क्षेत्र में काफी जोर होना चाहिए। कृषि धमधा क्षेत्र की रीढ़ है। कृषि को जितना आगे ले जाएंगे, उतना ही खेती किसानी के लिए बेहतर कार्य कर पाएंगे। कलेक्टर ने कहा कि डीएमएफ के माध्यम से कृषि के क्षेत्र में नवाचार के लिए बड़ी राशि रखी गई है। ऐसे प्रगतिशील किसान जो परंपरागत ज्ञान के साथ आधुनिक तकनीक के उपयोग से खेती करना चाहते हैं। उन्हें कृषि अधिकारी विशेष रूप से प्रोत्साहित करें। कृषि विभाग के अधिकारी इस ओर विशेष ध्यान दें। किसानों को तकनीकी रूप से जानकारी उपलब्ध कराएं। सब्जी विशेषकर फलों के रकबे बढ़ाने के संबंध में अधिकतम प्रयास किया जाए। उन्होंने सामूहिक फलोद्यान की ओर विशेष ध्यान देने कहा। उन्होंने कहा कि सामूहिक फलोद्यान कई मायने में उपयोगी होते हैं। एक ही तरह के फलों का उत्पादन एक जगह होने से क्रेता और विक्रेता दोनों को लाभ होता है।

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