प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में 13 जनवरी 2025 से महा कुंभ मेला का शुभारंभ हुआ। यह विश्व के सबसे बड़े और सबसे प्रतिष्ठित धार्मिक आयोजनों में से एक है। गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान कर आशीर्वाद और आत्मशुद्धि की कामना कर रहे हैं।
श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच, नागा साधुओं की अनोखी उपस्थिति सबका ध्यान आकर्षित कर रही है। राख से लिपटे शरीर, जटाओं वाले बाल और न्यूनतम वस्त्र—सिर्फ माला और गहनों में सजे ये साधु अपनी अद्वितीय छवि से विश्वभर के आगंतुकों को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं।
जहां अधिकांश ध्यान पुरुष नागा साधुओं पर केंद्रित होता है, वहीं महिला नागा साध्वियों का भी योगदान कम नहीं है। ये साध्वियां अपनी आध्यात्मिक और ताकतवर भूमिका से मेले में विशेष छाप छोड़ रही हैं।
नागा साधुओं का इतिहास
नागा साधु वे सन्यासी हैं जिन्होंने सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर आध्यात्मिक मुक्ति की खोज में जीवन को समर्पित कर दिया है।
इनकी उत्पत्ति प्राचीन भारत से होती है, जहां ये धार्मिक इतिहास का अभिन्न अंग रहे हैं। मोहनजोदड़ो की मुद्राओं और कलाकृतियों में इनकी उपस्थिति के प्रमाण मिलते हैं, जिनमें ये भगवान शिव के पाशुपतिनाथ अवतार की पूजा करते दिखते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि शंकराचार्य ने जब चार मठों की स्थापना की, तो उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हुए। इसके समाधान के रूप में उन्होंने सात समूहों का गठन किया, जो धर्म की रक्षा के लिए समर्पित थे। इन्हीं योद्धा-संन्यासियों का समूह नागा साधु के नाम से जाना गया।
संस्कृत में ‘नागा’ का अर्थ होता है “पहाड़”, जो इन साधुओं के पर्वतों के पास या उनके ऊपर रहने का संकेत देता है। ये साधु पूर्णतः आत्मसाक्षात्कार की खोज में लगे रहते हैं।
नागा साधु हथियारों से भी लैस होते हैं, जैसे तलवार, त्रिशूल, गदा, धनुष और तीर। उन्होंने मंदिरों और पवित्र स्थलों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इतिहास में उल्लेख है कि नागा साधुओं ने शिव मंदिरों को मुगल सेना और अन्य आक्रमणकारियों से बचाया।
सबसे प्रसिद्ध घटनाओं में से एक ज्ञान वापी की लड़ाई है, जहां नागा साधुओं ने मुगल सम्राट औरंगजेब की विशेष सेना को हराया था। जेम्स जी. लोचटेफेल्ड की पुस्तक ‘द इलस्ट्रेटेड एनसाइक्लोपीडिया ऑफ हिंदुइज्म’ के अनुसार, 1664 में महा निर्वाणी अखाड़े के नागा साधुओं ने औरंगजेब की सेना को हराया था।
नागा साधुओं की साधना
नागा साधु सख्त अनुशासन में रहते हैं, जिसमें ध्यान, योग और मंत्र जाप शामिल है। वे भौतिक संपत्तियों से दूर रहते हैं और अपनी साधना के लिए गुफाओं या आश्रमों में निवास करते हैं।