मंगलुरु (कर्नाटक) । कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शनिवार को कहा कि कानून सभी के लिए समान है और सवाल किया कि क्या भाजपा के हरीश पूंजा के खिलाफ आरोपों को सिर्फ इसलिए खारिज कर दिया जाए क्योंकि वह विधायक हैं। पूंजा पर पुलिस को धमकाने का आरोप है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूंजा द्वारा पुलिस को कथित रूप से धमकी देने के मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 353 (किसी लोक सेवक को उसके कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। विपक्षी दल के इस आरोप पर कि कांग्रेस भाजपा विधायक को गिरफ्तार करने के लिए दबाव बना रही है, सिद्धरमैया ने कहा कि कानून सभी के लिए समान है।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘आईपीसी की धारा 353 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है, जो गैर-जमानती अपराध है। इस कानून के अनुसार, सात साल जेल कीसजा हो सकती है। क्या हरीश पूंजा के खिलाफ आरोपों को सिर्फ इसलिए खारिज कर दिया जाना चाहिए क्योंकि वह विधायक हैं?’’ पूंजा को थाने से जमानत मिलने पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके खिलाफ पुलिस को धमकाने के दो मामले दर्ज हैं और सवाल किया कि क्या भाजपा नेता सिर्फ इसलिए पुलिस को धमका सकते हैं क्योंकि वह विधायक हैं। जमानती अपराधों के मामले में थाने से जमानत देना जांच अधिकारी के लिए बाध्यकारी है।
पुलिस के अनुसार, पूंजा के खिलाफ पहला मामला अवैध खनन के आरोप में गिरफ्तार किए गए पार्टी कार्यकर्ता को रिहा करने के लिए पुलिस पर दबाव बनाने के आरोप में दर्ज किया गया था, जबकि दूसरा मामला उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के खिलाफ तालुक कार्यालय के सामने प्रदर्शन करने के आरोप में दर्ज किया गया था। पूंजा 18 मई को बेलथांगडी थाने में घुसकर शशिराज शेट्टी की रिहाई की मांग कर रहे थे। इसके बाद उन पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। प्रदर्शन के दौरान पूंजा ने कथित तौर पर स्थानीय पुलिस अधिकारियों और तहसीलदार के साथ दुर्व्यवहार किया और पुलिस अधीक्षक का मजाक उड़ाया। पूंजा ने 22 मई की रात को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, जिसके बाद उनसे मामले के संबंध में पूछताछ की गई। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बाद में पूंजा को थाने से जमानत पर रिहा कर दिया गया।