नई दिल्ली। चांद की सतह पर ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद चंद्रयान-3 अपने मिशन में जुटा हुआ है। इसी क्रम में रोवर पर लगे लगे लेजर इन्ड्यूड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (एलआईबीएस) उपकरण ने चांद की सतह पर ऑक्सीजन की पुष्टि की है। इसके अलावा चंद्रमा की सतह पर एल्युमीनियम (Al), सल्फर (S), कैल्शियम (Ca), आयरन (Fe), क्रोमियम (Cr) और टाइटेनियम (Ti) की मौजूदगी का भी का खुलासा हुआ है। चांद की सतह पर मैंगनीज (Mn) और सिलिकॉन (C) की उपस्थिति का भी पता चला है। ISRO के मुताबिक, हाइड्रोजन की मौजूदगी के संबंध में गहन जांच चल रही है।
दरअसल, रोवर पर लगे लेजरयुक्त ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी (एलआईबीएस) उपकरण ने दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्र सतह की मौलिक संरचना पर पहली बार इन-सीटू मूल्यांकन किया। एलआईबीएस एक वैज्ञानिक तकनीक है, जो सामग्रियों को तीव्र लेजर पल्स के संपर्क में लाकर उनकी संरचना का विश्लेषण करती है। एलआईबीएस पेलोड को इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम (एलईओएस) इसरो, बेंगलुरु की प्रयोगशाला में विकसित किया गया है।
इस बीच, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मंगलवार को चंद्रयान 3 के प्रज्ञान रोवर को लेकर एक ताजा अपडेट दिया है। इसरो ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) एकाउंट पर पोस्ट कर बताया कि रोवर अब चंद्रमा के रहस्यों को उजागर करने की राह पर है।
इसरो इनसाइट ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि “नमस्कार पृथ्वीवासियों! यह चंद्रयान 3 का प्रज्ञान रोवर है। मुझे आशा है कि आप अच्छे होंगे। मैं हर किसी को बताना चाहता हूं कि मैं चंद्रमा के रहस्यों को उजागर करने के रास्ते पर हूं। मैं और मेरे दोस्त विक्रम लैंडर संपर्क में हैं। हम अच्छी तरह से हैं।
इससे पहले, 28 अगस्त को इसरो ने चंद्र सतह पर प्रज्ञान रोवर की राह में आए चार मीटर व्यास वाले गड्ढे के बारे में जानकारी दी थी। इसरो ने बताया कि इसके बाद रोवर को निर्देश भेजे गए। रोवर ने अपना रास्ता बदला और खतरे से बचते हुए नई दिशा में आगे बढ़ गया। यह घटना 27 अगस्त की है। इसरो ने कहा कि रोवर अब सुरक्षित रूप से नए रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।
इसरो ने इससे जुड़ी दो तस्वीरें भी जारी की हैं। पहली तस्वीर में नेविगेशन कैमरे के जरिए यह दिखाई दे रहा है कि रोवर प्रज्ञान की राह में कैसे आगे की तरफ एक बड़ा गड्ढा मौजूद है। रोवर जब अपने स्थान से तीन मीटर आगे चला, तब वहां यह गड्ढा मौजूद था। दूसरी तस्वीर में नेविगेशन कैमरा बता रहा है कि कैसे रोवर ने बाद में रास्ता बदला और अब वह नए रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।
इससे पहले चंद्रयान-3 के ‘विक्रम’ लैंडर में लगे चास्टे उपकरण ने चंद्रमा के तापमान से जुड़ी पहली जानकारी भेजी थी। इसके अनुसार चंद्रमा पर अलग-अलग गहराई पर तापमान में काफी अंतर है। चंद्र सतह जहां करीब 50 डिग्री सेल्सियस जितनी गर्म है, वहीं सतह से महज 80 मिमी नीचे जाने पर तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। चंद्रमा की सतह एक ऊष्मारोधी दीवार जैसी है, जो सूर्य के भीषण ताप के असर को सतह के भीतर पहुंचने से रोकने की क्षमता रखती है।
कुछ विशेषज्ञों का दावा है कि यह एक संकेत भी है कि चंद्र सतह के नीचे पानी के भंडार हो सकते हैं। इसरो ने रविवार को इस नई जानकारी के बारे में लिखा था कि ‘विक्रम’ लैंडर ने चंद्र सरफेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट यानी चैस्ट उपकरण ने दक्षिणी ध्रुव के निकट चंद्रमा की ऊपरी परत के तापमान की प्रोफाइल बनाई है। इसके जरिए चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने में मदद मिल सकती है।