झीरम घाटी नरसंहार : जांच में ढिलाई पर सीएम बघेल का वार, ऐसा कुछ है जो भाजपा दबाना-छिपाना चाहती है

रायपुर (छत्तीसगढ़)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि 25 मई के दिन बस्तर की झीरम घाटी में कांग्रेस नेताओं और सुरक्षाकर्मियों समेत 30 लोगों की हत्या की गई थी। केंद्र की इस जांच एजेंसी एनआईए ने जांच में लापरवाही बरती और जब प्रदेश सरकार ने जांच की डायरी मांगी तो नहीं दी गई। भूपेश बघेल ने ये भी कहा कि इस कांड के बारे में कुछ तो ऐसा है जो भाजपा दबाना-छिपाना चाहती है।

उन्होंने कहा हमारे पास सबूत हैं, मगर किसको दें, उस एनआईए को दें। जिसने झीरम कांड के जीवित लोगों से पूछताछ तक नहीं की। उस एनआईए से बात करें, जिससे जांच वापस राज्य सरकार ने मांगी तो वो हाईकोर्ट चले गए, सुप्रीम कोर्ट चले गए। खुद जांच नहीं कर रहे और हमें जांच करने दे नहीं रहे। आखिर डर क्यों हैं भाजपा को।

मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने एसआईटी बनाई तो जांच होने देते, कोर्ट क्यों गए। रिपोर्ट जमा कहां की, राजभवन में, आज तक ऐसा नहीं हुआ। इसमें सब कुछ दिख रहा है, कुछ न कुछ भाजपा छिपाने का प्रयास कर रही है। यदि सही हैं और एनआईए जब जांच पूरी कर चुकी है तो उसे राज्य सरकार को सौंपें। हमने एचएम समेत सभी को पत्र लिखा। दो तीन सवाल हैं, जिनके जवाब मिलने चाहिए, क्यों रोड ओपनिंग पार्टी को हटाया गया। नक्सली पूछ-पूछकर मार रहे थे, दिनेश पटेल कौन है, नंदकुमार पटेल कौन है, आज तक ऐसा नहीं किया नक्सलियों ने और नेताओं को और सुरक्षा क्यों नहीं दी गई ?

सीएम बघेल ने आगे बताया कि एनआई की कोर्ट ने कहा था कि नक्सली जो सरेंडर कर चुके हैं, तेलंगाना में उनका बयान लिया जाए। एनआईए ने पूछताछ तक नहीं की और जज का ट्रांसफर करा दिया गया । उनके घर में सुतली बम फेंका गया, डराया गया। साफ है भाजपा इस मामले में कुछ दबाना छिपाना चाहती है। इतनी बड़ी घटना पर अब उटपटांग बयान देते हैं, निर्लज हैं, ये लोग शर्म भी नहीं आती , इतने नेताओं की सुरक्षाकर्मियों की जान गई, इनको राजनीति सूझ रही है, हमारे लिए ये भावनात्मक मामला है।

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