संविधान के प्रति हर नागरिक का जागरूक होना जरूरी, विधिक सेवा प्राधिकरण ने लगाई कार्यशाला

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। संविधान के प्रति नागरिकों को जागरूक करने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में कार्यशाला का आयोजन किया गया। विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष व जिला सत्र न्यायाधीश राजेश श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में इस कार्यशाला का आयोजन खुर्सीपार स्कूल में किया गया था। जिसमें
संविधान के महत्व और संविधान में उल्लेखित अधिकार और कर्तव्य की जानकारी दी गई।

कार्यशाला में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव राहुल शर्मा ने कहा कि संविधान को देश के प्रत्येक नागरिक को पढ़ना चाहिए, जिसमें अधिकार के साथ कर्तव्य को विस्तार से बताया गया है। अगर आपको सुविधाएं मिल रही हैं और अधिकार दिए जा गए हैं तो उसका दुरुपयोग ना करें दुरुपयोग अपराध की श्रेणी में आता है। शासन द्वारा जारी निर्देश का पालन करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी व कर्तव्य हैं। भारत के मूल संविधान में केवल मूल अधिकारों को ही शामिल किया गया था। मौलिक कर्तव्य प्रारंभ में संविधान में उल्लेखित नहीं था। ऐसी आशा की जाती थी कि भारत के नागरिक स्वतंत्र भारत में अपने कर्तव्यों की पूर्ति स्वेच्छा से करेंगे, किंतु 42वें संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा भाग 4 (क) और अनुच्छेद 51 (क) जोड़ा गया। जिसमें दस मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख किया गया ।
संविधान के प्रस्तावना को संविधान की आत्मा कहा गया है। इसकी शुरुआत होती है हम भारत के लोगों से इसका आशय है कि संविधान केवल भारत और भारत के नागरिकों के लिए है। देश का कानून छोटे बड़े सभी पर लागू होता है। संविधान में स्वतंत्रता और समानता का अधिकार है। देश में व्यक्ति विशेष राजा या राज्य नहीं है। कानून से बड़ा कोई व्यक्ति समाज या धर्म नहीं कानून की सीमा में सभी है। अगर कोई अज्ञानता में भी अपराध करता है तो वह माफी का अधिकार नहीं रखता। हर व्यक्ति को स्वतंत्र रूप से बोलने की अभिव्यक्ति है लेकिन बोलने मात्र से कोई आहत होता है तो वहां पर आहत होने वाला व्यक्ति का मौलिक अधिकार का हनन होता है।
स्वच्छता रखना हमारा कर्तव्य
संविधान में प्रदान किया गया है कि हम जिस वातावरण में रहते हैं वह स्वच्छ रहे परंतु पॉलिथीन की पन्नियों में लोग कूड़ा भरकर फेंकते हैं। जिससे वातावरण प्रदूषित होता है। कूड़े के ढेर में खाद्य पदार्थ खोजते हुए पशु पन्नी निगल जाते हैं। ऐसे में पन्नी उनके पेट में चली जाती है। बाद में ये पशु बीमार होकर दम तोड़ देते हैं। प्लास्टिक और पॉलिथीन गाँव से लेकर शहर तक लोगों की सेहत बिगाड़ रहे हैं। शहर का ड्रेनेज सिस्टम अक्सर पॉलिथीन से भरा मिलता है। इसके चलते नालियाँ और नाले जाम हो जाते हैं। इसका प्रयोग तेजी से बढ़ा है। प्लास्टिक बैगों के अंदर सिंथेटिक पालीमर नामक एक पदार्थ होता है। जोकि प्रर्यावरण के लिए काफी हानिकारक होता है और क्योंकि यह नान-बायोडिग्रेडबल होता है। इसी वजह से इसका निस्तारण भी काफी कठिन है। प्लास्टिक बैग वजन में काफी हल्के होते है। इसलिये ये हवा द्वारा आसानी से एक जगह से दूसरी जगह उड़ा कर इधर-उधर बिखेर दिये जाते है।
राष्ट्रीय सम्मानों का अपमान रोकथाम
अधिनियम 1971 की धारा 2 के अनुसार सार्वजनिक स्थान पर या लोगों की नजर में किसी अन्य स्थान पर कोई राष्ट्रध्वज को जलाता, तोड़फोड़ करता है, विकृत करता है, नष्ट करता है या अन्य तरीके से उसके प्रति असम्मान दिखाता है तो उसे अधिकतम तीन साल तक कैद की सजा हो सकती है। इसके अलावा जुर्माना भी हो सकता है और कारावास तथा जुर्माना दोनों से भी दंडित किया जा सकता है। महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक या खेलकूद कार्यक्रमों में बस कागज के तिरंगे का ही इस्तेमाल किया जाए और कार्यक्रम के पश्चात उन्हें जमीन पर फेंका नहीं जाए। इन झंडों का उनकी गरिमा के अनुसार निस्तारण किया जाए।

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