मनाली, हिमाचल प्रदेश | 15 जून 2025 — हिमाचल प्रदेश के मनाली में स्थित नेहरू कुंड के पास एक 12 वर्षीय बच्ची ज़िपलाइन से लगभग 30 फीट की ऊँचाई से गिर गई, जिसकी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। इस दर्दनाक घटना ने राज्य में एडवेंचर टूरिज्म की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
घटना का विवरण
पीड़िता की पहचान त्रिशा विजवे के रूप में हुई है, जो महाराष्ट्र की रहने वाली है। यह हादसा 8 जून को हुआ था, लेकिन उस समय इसे सामान्य रूप से दबा दिया गया था। अब जब घटना का वीडियो सामने आया है, तो प्रशासन पर सवालों की बौछार हो रही है।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ज़िपलाइन की केबल बीच रास्ते में टूट गई, जिससे त्रिशा सीधे 30 फीट नीचे गिर पड़ी। हादसे के तुरंत बाद उन्हें मनाली के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें चंडीगढ़ रेफर किया गया। फिलहाल त्रिशा को नागपुर स्थानांतरित किया गया है, जहाँ वह इलाज के दौर से गुजर रही हैं और उनकी स्थिति स्थिर बताई जा रही है।
परिवार की प्रतिक्रिया
त्रिशा के पिता, प्रफुल विजवे, ने इस मामले में कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा है कि वह अपनी बेटी का इलाज खुद सुनिश्चित करेंगे। हालांकि, इस रुख को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि यह प्रशासन की जवाबदेही तय करने में बाधा बन सकता है।
प्रशासनिक चुप्पी और जांच का आश्वासन
हालांकि हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग ने जांच का आश्वासन दिया है, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि ज़िपलाइन ऑपरेटर पर आपराधिक लापरवाही का मामला दर्ज होगा या नहीं।
साहसिक खेलों के नियमों के अनुसार, नाबालिगों के लिए इस प्रकार की गतिविधियों में विशेष सावधानी बरतना आवश्यक होता है, जिसमें हार्नेस, हेलमेट और केबल की मजबूती की समय-समय पर जांच शामिल है। लेकिन यह हादसा दर्शाता है कि शायद इन नियमों का पालन नहीं किया गया।
सुरक्षा मानकों पर बड़ा सवाल
यह कोई पहली घटना नहीं है जब हिमाचल में साहसिक पर्यटन के दौरान सुरक्षा चूक सामने आई हो। इससे पहले भी पैराग्लाइडिंग, रिवर राफ्टिंग जैसे आयोजनों में कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें पर्यटकों की जान पर बन आई थी।
विशेषज्ञों का मानना है कि पर्यटन विभाग को ऐसे आयोजनों के लिए अनिवार्य प्रमाणन प्रणाली, नियमित निरीक्षण, और ऑपरेटरों के लिए जवाबदेही तय करने वाली नीति बनानी चाहिए।
निष्कर्ष
यह घटना न केवल त्रिशा और उसके परिवार के लिए दर्दनाक है, बल्कि यह हिमाचल प्रदेश में एडवेंचर टूरिज्म की बुनियादी खामियों को उजागर करती है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह जल्द से जल्द इस मामले की निष्पक्ष जांच कराए, ज़िम्मेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त नियम लागू करे।
