अशोक नगर, मध्यप्रदेश — प्रदेश के सांस्कृतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए जन संस्कृति मंच (जसम) की पहली इकाई का गठन रविवार को अशोक नगर में कर लिया गया। इस अवसर पर प्रख्यात कवि हरगोविंद पुरी को इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जबकि रंगमंच के चर्चित निर्देशक और अभिनेता जसपाल बांगा को सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई।
संस्कृति और सृजनशीलता के पक्ष में एकजुटता

बैठक की अध्यक्षता संगीतकार श्यामसुंदर मुदगल ने की और संचालन स्वयं सचिव जसपाल बांगा ने संभाला। बैठक की शुरुआत बृजमोहन के प्रसिद्ध जनगीत “लड़ते हुए सिपाही का गीत बनो रे…” की प्रस्तुति से हुई। इस भावपूर्ण शुरुआत के बाद हरगोविंद पुरी ने जन संस्कृति मंच के संविधान का वाचन किया और सदस्यों को इसकी वैचारिक प्रतिबद्धताओं से अवगत कराया।
इकाई की उपाध्यक्ष की भूमिका हरिओम श्रीवास्तव को सौंपी गई, वहीं सह-सचिव बनाए गए दुर्गेश भार्गव और कोषाध्यक्ष पद पर देवेश जौनवार की नियुक्ति हुई। कार्यकारिणी में साहित्य, कला और जनसंस्कृति से जुड़े चर्चित नाम जैसे भानु प्रकाश रघुवंशी, महेश कुशवाहा, श्याम सुंदर मुदगल, और रईस खान को शामिल किया गया है। मीडिया प्रभारी की जिम्मेदारी पत्रकार राजेन्द्र रजक को दी गई।
रचनात्मक संवाद और वैचारिक प्रतिबद्धता
सभी सदस्यों ने औपचारिक रूप से सदस्यता ग्रहण करते हुए अपने विचार साझा किए कि वे जसम से क्यों जुड़ना चाहते हैं। अधिकांश का मत था कि आज के चुनौतीपूर्ण समय में सांस्कृतिक प्रतिरोध और वैचारिक हस्तक्षेप बेहद ज़रूरी हो गया है। इस संदर्भ में जन संस्कृति मंच एक सशक्त मंच बनकर उभरा है।
भविष्य की रूपरेखा और कविताओं की प्रस्तुति
इस अवसर पर कवि भानु प्रकाश रघुवंशी ने अपनी चुनिंदा कविताओं का पाठ कर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। सभी सदस्यों ने आगामी कार्यक्रमों और सांस्कृतिक आयोजनों की रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा की, जिसमें विचार गोष्ठियाँ, कवि सम्मेलन, नाटक मंचन और साहित्यिक संवाद शामिल हैं।
राष्ट्रीय नेतृत्व की प्रतिक्रिया
जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविभूषण ने मध्यप्रदेश में नई इकाई के गठन को एक “सार्थक पहल” बताते हुए कहा कि यह टीम लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। वहीं राष्ट्रीय महासचिव मनोज सिंह ने कहा कि यह समय लेखक, कवि और कलाकारों के अधिक सक्रिय और संगठित होने का है। उन्होंने नए सदस्यों को बधाई देते हुए कहा कि फासीवादी शक्तियों से मुकाबले के लिए सांस्कृतिक प्रतिरोध जरूरी है।
छत्तीसगढ़ की प्रतिक्रिया और भविष्य की योजनाएं
छत्तीसगढ़ इकाई के समन्वयक सियाराम शर्मा और रायपुर के संरक्षक सदस्य राजकुमार सोनी ने भी अशोक नगर इकाई के गठन का स्वागत किया। राजकुमार सोनी ने कहा, “यह समय चुप रहने का नहीं है, बल्कि संगठित होकर प्रतिवाद करने का है।” उन्होंने यह भी संकेत दिया कि मध्यप्रदेश के अन्य जिलों में भी जसम की इकाइयों का गठन शीघ्र ही किया जाएगा।
निष्कर्ष
अशोक नगर में जन संस्कृति मंच की पहली इकाई का गठन प्रदेश के सांस्कृतिक मोर्चे पर एक नई चेतना का प्रतीक है। यह इकाई न केवल साहित्य और कला के पक्ष में खड़ी होगी, बल्कि समाज में लोकतांत्रिक, प्रगतिशील और समावेशी मूल्यों की रक्षा के लिए भी सांस्कृतिक हस्तक्षेप करती रहेगी।
