KIIT आत्महत्या मामला: पूर्व प्रेमी की प्रताड़ना के बाद हुई मौत, कॉलेज प्रशासन पर लापरवाही के आरोप

भुवनेश्वर। काठमांडू, नेपाल की रहने वाली प्रकृति लम्साल (Prakriti Lamsal) की 16 फरवरी को कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT), भुवनेश्वर के छात्रावास में मृत अवस्था में पाई गई। आरोप है कि उन्होंने आत्महत्या कर ली

पूर्व प्रेमी से मिल रही थी धमकियां

लम्साल की करीबी दोस्त के अनुसार, वह अपने पूर्व प्रेमी अद्विक श्रीवास्तव (Advik Srivastava) द्वारा शारीरिक, मानसिक और मौखिक प्रताड़ना झेल रही थीं। वह अक्टूबर से ही इस रिश्ते को खत्म करना चाहती थीं, लेकिन अद्विक ने उन्हें धमकाया कि अगर उन्होंने ब्रेकअप किया तो वह उनकी निजी तस्वीरें लीक कर देगा

लम्साल की दोस्त, जो खुद भी कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग की छात्रा हैं, ने बताया कि अद्विक रात-दिन उन्हें कॉल करता था, अलग-अलग नंबरों से परेशान करता था और यहां तक कि उन्हें कई बार थप्पड़ भी मारा

कॉलेज प्रशासन ने शिकायत को किया नजरअंदाज

लम्साल ने 25 जनवरी को दूसरी बार अपने साथ हो रही प्रताड़ना की शिकायत की थी। वह अपनी दोस्त के साथ इंटरनेशनल रिलेशंस ऑफिसर (IRO) के पास गई थीं, लेकिन कॉलेज प्रशासन ने उचित कार्रवाई करने के बजाय केवल एक ‘अंडरटेकिंग’ साइन करवा दी कि दोनों एक-दूसरे से बात नहीं करेंगे।

कॉलेज प्रशासन ने अद्विक को सिर्फ एक हफ्ते के लिए सस्पेंड किया, जिससे वह और ज्यादा परेशान हो गईं।

PoSH कमेटी तक शिकायत नहीं पहुंची

भारत में यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम (Prevention of Sexual Harassment at Workplace Act, 2013 – PoSH) के तहत कॉलेज प्रशासन की जिम्मेदारी थी कि वह लम्साल को आंतरिक शिकायत समिति (Internal Complaints Committee – ICC) के पास जाने की सलाह देता। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ।

KIIT की पीआर डायरेक्टर डॉ. श्रद्धांजलि नायक ने सफाई देते हुए कहा कि यह मामला मानसिक प्रताड़ना से जुड़ा था, न कि यौन उत्पीड़न से, इसलिए इसे PoSH कमेटी तक नहीं भेजा गया। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय नियमित रूप से PoSH को लेकर जागरूकता अभियान चलाता है

नेपाल में कैंडल मार्च, इंसाफ की मांग

लम्साल की याद में नेपाल में कैंडल मार्च निकाला गया, जहां उनके दोस्तों और सहयोगियों ने कॉलेज प्रशासन की लापरवाही के खिलाफ आवाज उठाई। उनका कहना है कि यदि कॉलेज ने समय पर सख्त कदम उठाया होता, तो शायद उनकी जान बचाई जा सकती थी

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