मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने गुरुवार को राज्य में अवैध रूप से रखे गए हथियारों को सात दिनों के भीतर सरेंडर करने का अल्टीमेटम जारी किया। उन्होंने मैदानी और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों से शांति बहाल करने और हिंसा को समाप्त करने की अपील की।
युवाओं से हथियार लौटाने की अपील
राज्यपाल ने विशेष रूप से युवाओं से अपील करते हुए कहा कि जो भी व्यक्ति लूटे गए या अवैध हथियारों को निकटतम पुलिस स्टेशन, सुरक्षा चौकी या कैंप में वापस करेगा, उसके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। हालांकि, समयसीमा समाप्त होने के बाद ऐसे हथियार रखने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा, “मणिपुर के लोग पिछले 20 महीनों से हिंसा और अशांति झेल रहे हैं। अब समय आ गया है कि सभी समुदाय एकजुट होकर शांति और सौहार्द बनाए रखें, ताकि लोग अपनी सामान्य दिनचर्या में लौट सकें।”
सुरक्षा बलों की कार्रवाई और बढ़ती हिंसा
राज्य में अवैध हथियारों के बढ़ते जमावड़े को देखते हुए सुरक्षा बल लगातार कार्रवाई कर रहे हैं। हाल ही में यूनाइटेड कुकी नेशनल आर्मी और प्रतिबंधित कांगलेपाक कम्युनिस्ट पार्टी सहित कई उग्रवादी संगठनों के सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। पिछले दो दिनों में राइफल, पिस्टल, ग्रेनेड और मोर्टार सहित बड़ी मात्रा में हथियार जब्त किए गए हैं।
राष्ट्रपति शासन और बढ़ते तनाव
13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया, जिससे सुरक्षा उपायों को और कड़ा कर दिया गया है। इससे पहले मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, क्योंकि मई 2023 से जारी जातीय हिंसा में 250 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।
राज्य सरकार ने हाल ही में कुकी नेशनल आर्मी और अन्य उग्रवादी गुटों के साथ हुए ऑपरेशन सस्पेंशन (SoO) समझौते से खुद को अलग कर लिया था, जिसके कारण राज्य में एक बार फिर संघर्ष तेज हो गया है।
समाज में मिली-जुली प्रतिक्रिया
राज्यपाल के इस अल्टीमेटम को लेकर मणिपुर इंटीग्रिटी कोऑर्डिनेटिंग कमेटी (COCOMI), जो एक मीतेई नागरिक समूह है, ने इसे “अलोकतांत्रिक” और राज्य को अस्थिर करने की साजिश करार दिया। वहीं, कुकी जनजातियों की सर्वोच्च संस्था कुकी इंपी ने इसे “आवश्यक हस्तक्षेप” बताते हुए अलग प्रशासन की अपनी मांग दोहराई। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 239(A) के तहत एक अलग प्रशासनिक इकाई की मांग की है।
क्या आगे होगा?
राज्यपाल के आदेश के बाद अब देखना होगा कि लोग हथियार सरेंडर करते हैं या नहीं। वहीं, अगर हिंसा जारी रहती है, तो सुरक्षा बलों की कार्रवाई और सख्त हो सकती है।
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