छत्तीसगढ़ के बीजापुर के मुतवेंडी गांव को पहली बार मिला स्कूल, चिल्कापल्ली में पहुंची बिजली

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के मुतवेंडी गांव ने चार दशकों के लंबे संघर्ष के बाद पहली बार स्कूल की सौगात पाई है। कभी नक्सल प्रभावित इस गांव में अब शिक्षा की रोशनी पहुंची है। यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ सरकार की ‘नियाद नेल्लनार’ योजना के तहत संभव हो पाई है, जिसे मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में संचालित किया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ सरकार के अनुसार, ‘नियाद नेल्लनार’ का अर्थ है “आपका आदर्श गांव”, जहां सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं और अब वह क्षेत्र अन्य विकसित इलाकों की तरह आगे बढ़ रहा है। इस योजना के तहत प्रदेश के पांच जिलों – सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और कांकेर में कुल 90 गांवों का विकास किया जा रहा है। इन गांवों को सुरक्षा शिविरों के आसपास विकसित कर वहां बुनियादी सुविधाओं का पूरा सशक्तिकरण किया जा रहा है।

इससे पहले, राज्य शिक्षा विभाग द्वारा बालकों के शैक्षणिक बोझ को कम करने के लिए बलरामपुर जिले के चंद्रनगर क्षेत्र में आठ सरकारी स्कूलों में ‘बिना बैग की पढ़ाई’ (Bagless Learning) मॉडल को अपनाया गया। कक्षा 1 से 8 तक के छात्र अब केवल एक नोटबुक और पेन लेकर स्कूल आते हैं, जिससे शिक्षा को अधिक आनंददायक और तनावमुक्त बनाया जा रहा है। जिला शिक्षा अधिकारी डी.एन. मिश्रा ने बताया कि इस व्यवस्था को अन्य स्कूलों में भी लागू करने के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है।

इसके साथ ही, बीजापुर जिले के चिल्कापल्ली गांव में पहली बार बिजली पहुंची है। यह गांव, जो जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर स्थित है, आज़ादी के बाद से अब तक अंधेरे में था। सरकार की सतत प्रयासों से अब यहां रोशनी पहुंची है, जिससे ग्रामीणों की जीवनशैली में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है।

छत्तीसगढ़ में हो रहे इन बदलावों से यह साफ है कि सरकार दूरस्थ क्षेत्रों के विकास और शिक्षा के सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रही है।

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