मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों में बढ़ते ड्रॉपआउट संकट को रोकने और शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने के लिए राज्य सरकार नई पहल कर रही है। इसका उद्देश्य सरकारी स्कूलों को इतना सक्षम बनाना है कि प्राइवेट स्कूलों के बच्चे भी इनमें दाखिले के लिए प्रेरित हों। इस सुधार योजना के तहत सरकारी स्कूलों की व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जाएगा और निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाई जाएगी।
शिक्षकों की कमी पूरी करने पर जोर
स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने बताया कि सरकारी स्कूलों की सबसे बड़ी समस्या शिक्षकों की कमी है, जिसे प्राथमिकता के आधार पर हल किया जा रहा है। इस वर्ष 42 हजार शिक्षकों को युक्तियुक्तकरण और उच्च पद प्रभार के तहत उन स्कूलों में भेजा गया है, जहां शिक्षक उपलब्ध नहीं थे।

इसके अलावा, नए शैक्षणिक सत्र से पहले अतिथि शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया भी अप्रैल माह में पूरी कर ली जाएगी। यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि बच्चों का कोर्स समय पर शुरू हो सके। अक्सर शिक्षकों की नियुक्ति में देरी के कारण आधा शैक्षणिक सत्र बीत जाता है, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है और उनके परीक्षा परिणाम खराब होते हैं।
सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार
सरकारी स्कूलों की खामियों को दूर करने और शैक्षणिक वातावरण को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। इससे अभिभावकों का सरकारी स्कूलों पर विश्वास बढ़ेगा और बच्चों का ड्रॉपआउट रेट घटेगा। राज्य सरकार का यह प्रयास सरकारी शिक्षा प्रणाली को सुदृढ़ और प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है।
