नाबालिग की सहमति के बाद भी संबंध बनाना पड़ा युवक को भारी, अदालत ने किया कुल 24 वर्ष के कारावास से दंडित

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। नाबालिग किशोरी को बहला-फुसलाकर साथ ले जाकर शारीरिक संबंध बनाए जाने के मामले स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुनाया है। युवक के साथ स्वंय की इच्छा से जाने और सहमति से शारीरिक संबंध बनाएं जाने कथन के बावजूद कोर्ट ने किशोरी के नाबालिग होने के मद्देनजर युवक को दोषी करार दिया है। युवक को विभिन्न धाराओं के तहत कुल 24 वर्ष के कारावास तथा 8 हजार रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया है। यह फैसला शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) सरिता दास की अदालत में सुनाया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक राजेश कुमार साहू ने पैरवी की थी।

मामला खुर्सीपार थाना क्षेत्र का है। थाना क्षेत्र अंतर्गत निवासी लगभग साढ़े 16 वर्ष की किशोरी 20 जुलाई 2021 को घर से लापता हो गई थी। जिसकी शिकायत परिजनों ने पुलिस में दर्ज कराई थी। लापता किशोरी पुलिस महाराष्ट्र गोंदिया जिले के अर्जनी मोरगांव से 28 जुलाई को अनमोल कश्यप (26 वर्ष) के कब्जे से बरामद किया था।

पूछताछ में किशोरी ने बताया कि अनमोल उसके मोहल्ले का निवासी है और दोनों के बीच प्रेम प्रसंग था। 20 जुलाई की दोपहर वह कपड़े वगैरह लेकर अनमोल के साथ निकल गई थी। दोनों स्विफ्ट कार क्रमांक सीजी 04 सीएस 8055 में सवार होकर महाराष्ट्र गोंदिया जिले के अर्जुनी मोरगांव गए थे। जहां किराए का मकान लेकर दोनों साथ रह रहे थे। इस दौरान दोनों के बीच की बार शारीरिक संबंध भी बने।

पुलिस ने किशोरी के नाबालिग होने और परिजनों की सहमति के बिना साथ ले जाने और शारीरिक संबंध बनाए जाने के आरोप में युवक के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया था। आरोपी अनमोल कश्यप को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। विवेचना पश्चात प्रकरण को विचारण के लिए अदालत के समक्ष पेश किया गया।

प्रकरण पर विचारण फास्ट ट्रैक कोर्ट में किया गया। विचारण पश्चात विशेष न्यायाधीश ने किशोरी के नाबालिग होने मद्देनजर किशोरी की सहमति को अस्वीकार करते हुए हुए युवक को नाबालिग का बहला-फुसलाकर अपहरण करने तथा शारीरिक संबंध बनाने के आरोपों के तहत दोषी ठहराया। मामले के अभियुक्त अनमोल कश्यप (26 वर्ष) को दफा 363 के तहत एक वर्ष, 366 के तहत 3 वर्ष तथा पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत 20 वर्ष के कारावास से दंडित किया गया है। मामले में गिरफ्तारी के बाद से अभियुक्त फैसला सुनाए जाने तक जेल में ही निरुद्ध हैं।