दुर्ग की महिला अधिवक्ता ने अपने पक्षकार पर लगाया दुर्व्यवहार का आरोप, सुनवाई बाद महिला आयोग ने किया प्रकरण निरस्त

रायपुर (छत्तीसगढ़)। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य शशिकांता राठौर, डॉ अनीता रावटे एवं अर्चना उपाध्याय की उपस्थिति में आज शास्त्री चौक स्थित, राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की गई। आज जनसुनवाई में 39 प्रकरण में 31 पक्षकार उपस्थित हुए, 10 प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया शेष अन्य प्रकरण को आगामी सुनवाई में रखा गया।

दुर्ग के एक प्रकरण में सुनवाई के समय आयोग की ओर से आयोग कार्यालय में दोनो पक्ष को शपथ पत्र पर बयान दर्ज कर लाने कहा गया था आज आयोग के सुनवाई में शपथ पत्र पर बयान दर्ज किया उक्त दस्तावेजों और प्रकरणों को सुनने के बाद स्पष्ट हुआ कि आवेदिका चुकी अधिवक्ता है उनके द्वारा अपने पक्षकार के पैरवी करने के वास्तविक रूप में अनावेदकगणो से चर्चा हुई थी। जिसे लेकर आवेदिका ने यह शिकायत किया कि अनावेदक ने उससे दुर्व्यवहार किया है। आवेदिका द्वारा ऑडियो क्लिप को सभी सदस्यों ने सुना ऑडियो में ऐसे तथ्य नही आया है जो आवेदिका के साथ दुर्व्यवहार के तथ्य में आते हैं अनावेदक ने आवेदिका  के प्रस्तुत अपील को स्वीकार किया है जिसके खिलाफ आवेदिका उच्च न्यायालय या उच्च अपीलीय न्यायालय में पुनः अपील कर सकते हैं। अनावेदक गण ने बताया कि धारा 107 के तहत प्रकरण सुनने की पात्रता थी किंतु अनावेदक ने धारा 108 भूल सुधार का आवेदन प्रस्तुत किया था। इसको अब आवेदिका कहती है कि मैंने किसी अन्य के कहने पर किया था इससे यह स्पष्ट होता है कि आवेदिका अपने पक्षकार का प्रकरण सही ढंग से प्रस्तुत करने के लिए कानून की जानकर नही थी इस तथ्य रूप का मूल आवेदिका से मांगने पर दस्तावेज नही दे पाई है ऐसी दशा स्तिथि में आवेदिका का प्रकरण अभद्रता और अशोभनीय व्यवहार प्रमाणित नही होने से इस प्रकरण की निरस्त कर नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक के खिलाफ आवेदिका ने मानसिक प्रताड़ना की शिकायत आयोग में दर्ज करवाई है। आयोग की सुनवाई में वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि आवेदिका के पति के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच का मामला न्यायालय में विचाराधीन है जिसमे न्यायालय से सजा हो चुकी है इस कारण उनके निर्वाह भत्ता के निराकरण में नियमानुसार कार्यवाही की प्रक्रिया जारी है। चूंकि आवेदिका एक गृहणी हैं और अपने पति का ईलाज कराने में आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है उनके जीवन निर्वाह भत्ता या विभाग के जमा राशि की आवश्यकता है अनावेदकगण को आयोग की ओर से समझाइश दिया गया कि वे आवेदिका के प्रकरण की शीघ्र जांच कर रिपोर्ट की समस्त दस्तावेज आगामी सुनवाई में आवश्यक रूप से प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए।
अनावेदक की अनुपस्थिति से महिला आयोग नाराज, डीजीपी को लिखा पत्र
एक अन्य प्रकरण में थाना प्रभारी के माध्यम से अनावेदक की उपस्थिति कराने हेतु आयोग ने कई बार पत्र लिखा है पर आज दिनांक की सुनवाई में भी थाना प्रभारी अनावेदक को उपस्थित करने में असफल रहे हैं। इस हेतु अब आयोग रायपुर डीजीपी को एसपी रायपुर की जिम्मेदारी तय सुनिश्चित कराने पत्र प्रेषित किया जाएगा जिससे अनावेदक आवश्यक रूप सुनवाई में उपस्थित होवे। साथ ही अपराधी को पकड़ने के लिए तमका दिया जाता है पर तिल्दा क्षेत्र के पुलिस पकड़ने में असक्षम है। डीजीपी के माध्यम से एसपी के अधीनस्थ किसी जिम्मेदार पुलिस अधिकारी के माध्यम से अनावेदक की उपस्थिति सुनिश्चित कराया जा सके जिससे कि इस प्रकरण का निराकरण किया जा सके।

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