रायपुर (छत्तीसगढ़)। महिला बाल विकास विभाग राज्य में सक्रिय रूप से बाल विवाह रोककर नाबालिक बच्चों का जीवन बचाने में लगा है। सूरजपुर जिले में विभाग की संयुक्त टीम की सक्रियता से एक दिन में तीन बाल विवाह रोकने में सफलता मिली है। टीम में महिला एवं बाल विकास, चाईल्ड लाईन, पुलिस विभाग के अधिकारी और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शामिल थे। उन्होंने कल्याणपुर गांव की कक्षा नवमी की नाबालिग छात्रा सहित नकना और तिवरागुड़ी गांव में एक बालक और एक बालिका का बाल विवाह रूकवाया।
जिला कार्यक्रम अधिकारी मुक्तानंद खुटे ने बताया कि उन्होंने बाल विवाह की जानकारी लगते ही संयुक्त टीम को रवाना किया। कल्याणपुर गांव में कक्षा 09 वीं में अध्ययरत 17 वर्ष 10 माह वर्षीय बालिका की बारात आने ही वाली थी। परिवार को समझाईश देकर विवाह रुकवाया गया और बारात को तत्काल रास्ते से ही वापस किया गया। इसी तरह जानकारी मिली कि जिले के ग्राम नकना और तिवरागुड़ी में एक बालक और बालिका के विवाह के अनुमति के लिए आवेदन लगाया गया था। अनुमति नहीं मिलने के बावजूद दोंनो विवाह कराए जा रहे हैं। संयुक्त टीम पहले नकना गई और वहां 20 वर्ष 10 माह के लड़के का विवाह किया जा रहा था। परिवारजन को समझाया गया कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के अन्तर्गत यह विवाह अपराध की श्रेणी में आता है,क्योंकि वर ने विवाह के लिए निर्धारित 21 वर्ष की आयु पूरी नहीं की है। साथ ही कोरोना संक्रमण के दौरान बिना अनुमति के विवाह किया जा रहा है। इस पर परिवार पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। समझाईश पर पारिवारिक सदस्य विवाह को स्थगित करने के लिए मान गये।
संयुक्त टीम उमापुर पण्डरीपानी, तिवरागुड़ी भी पहुंची। यहां एक 17 वर्षिय बालिका केे विवाह की तैयारी चल रही थी। मध्यप्रदेश के सीधी निवासी वर पक्ष से बात करने पर पता चला कि 19 जून को वे सीधी से बारात लेकर विवाह के लिए छत्तीसगढ़ आने वाले हैं। इसे देखते हुए बालिका समेत उसके पिता,चाचा अन्य सदस्यों को समझाया गया। बालिका की कम उम्र होने के कारण उन्हें विवाह की अनुमति भी नहीं मिली थी। टीम के सदस्य परिवार को विवाह स्थगित करने के लिए तैयार करने के साथ ही वर पक्ष को भी मोबाईल के माध्यम से जानकारी देते हुए समझाकर बाल विवाह रोकने में सफल रहे।