रायपुर — अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) रायपुर ने चिकित्सा के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। संस्थान ने छत्तीसगढ़ में पहली बार ‘स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट’ (Kidney Paired Donation – KPD) को सफलतापूर्वक अंजाम देकर राज्य और देश के नए AIIMS संस्थानों में पहला स्थान प्राप्त किया है।
यह ट्रांसप्लांट 15 मार्च 2025 को किया गया और इसमें बिलासपुर के दो एंड-स्टेज रीनल डिजीज (ESRD) मरीजों की सफल किडनी प्रत्यारोपण की गई, जो पिछले तीन वर्षों से डायलिसिस पर थे। दोनों मरीजों की पत्नियां किडनी दान करना चाहती थीं, लेकिन ब्लड ग्रुप की असंगतता के कारण वे प्रत्यक्ष दान नहीं कर सकती थीं। AIIMS रायपुर की कुशल टीम ने दोनों जोड़ों के बीच किडनी की अदला-बदली (स्वैप) कराई, जिससे दोनों मरीजों को जीवनदान मिला।

क्या होता है स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट?
जब मरीज का जीवित दाता होते हुए भी ब्लड ग्रुप या HLA एंटीबॉडी के कारण किडनी दान नहीं कर सकता, तब दो ऐसे असंगत जोड़े आपस में किडनी की अदला-बदली करते हैं। इससे दोनों मरीजों को संगत किडनी मिल जाती है और सफल ट्रांसप्लांट संभव होता है।
चिकित्सा दल की सराहनीय भूमिका
इस जटिल प्रक्रिया में चार सर्जन और चार एनेस्थीसिया विशेषज्ञों की टीम ने एक साथ चार ऑपरेशन थिएटर में सर्जरी को अंजाम दिया। प्रमुख सदस्य रहे:
- ट्रांसप्लांट फिजीशियन: डॉ. विनय राठौर
- ट्रांसप्लांट सर्जन: डॉ. अमित आर शर्मा, डॉ. दीपक बिस्वाल, डॉ. सत्यदेव शर्मा
- एनेस्थीसिया टीम: डॉ. सुब्रत सिंघा, डॉ. मयंक, डॉ. जितेंद्र, डॉ. सरिता रामचंदानी
- कोऑर्डिनेटर टीम और नर्सिंग स्टाफ ने भी अहम् भूमिका निभाई।
AIIMS रायपुर के कार्यकारी निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल ने पूरी टीम को बधाई देते हुए बताया कि संस्थान में 20 बिस्तरों वाला नया रीनल ट्रांसप्लांट फोर जल्द चालू किया जाएगा। इससे प्रदेश में ट्रांसप्लांट सेवाएं और सुदृढ़ होंगी।
AIIMS रायपुर की उपलब्धियां:
- अब तक 54 किडनी ट्रांसप्लांट किए गए, जिसमें 95% ग्राफ्ट और 97% मरीज जीवित रहे।
- छत्तीसगढ़ में पहली बार बाल रोगियों का मृत अंग प्रत्यारोपण यहीं हुआ।
- Ayushman Bharat Scheme के तहत ट्रांसप्लांट पैकेज भी इसी टीम ने डिजाइन किए हैं।
इस पहल से न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश में ‘एक देश, एक स्वैप ट्रांसप्लांट कार्यक्रम’ को बढ़ावा मिलेगा, जिससे अनगिनत मरीजों को नया जीवन मिलेगा।
