नई दिल्ली: भारत सरकार की डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) प्रणाली ने कल्याणकारी योजनाओं में पारदर्शिता लाकर अब तक ₹3.48 लाख करोड़ की बचत कर ली है। यह आंकड़ा ब्लूकाफ्ट डिजिटल फाउंडेशन की नई रिपोर्ट में सामने आया है, जिसमें 2009 से 2024 तक के आंकड़ों का विश्लेषण कर DBT की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, DBT लागू होने के बाद सरकारी सब्सिडी व्यय कुल खर्च का 16% से घटकर मात्र 9% रह गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि जन कल्याणकारी योजनाओं में अपव्यय और लीकेज पर प्रभावी रोक लगी है।

🌐 JAM ट्रिनिटी ने बनाई मजबूत नींव
DBT की सफलता का आधार JAM ट्रिनिटी है—
- जनधन खाते
- आधार संख्या
- मोबाइल फोन
इस ढांचे ने यह सुनिश्चित किया कि सरकारी लाभ सीधे पात्र लाभार्थियों के खातों में पहुंचे, जिससे बिचौलियों की भूमिका खत्म हो गई और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिला।
📊 वेलफेयर एफिशिएंसी इंडेक्स में भारी उछाल
ब्लूकाफ्ट की रिपोर्ट में Welfare Efficiency Index नामक एक नया मापदंड शामिल किया गया है, जो वित्तीय बचत, सब्सिडी में कमी और सामाजिक समावेशन जैसे पहलुओं को एक साथ जोड़ता है।
यह सूचकांक 2014 में 0.32 से बढ़कर 2023 में 0.91 तक पहुंच गया है — यानी तीन गुना सुधार, जो कि DBT के ज़रिए समानता और कुशल गवर्नेंस के स्पष्ट संकेत देता है।
🌍 दुनिया के लिए बना आदर्श मॉडल
जब दुनिया भर की सरकारें सामाजिक सुरक्षा तंत्र को मज़बूत करने के नए रास्ते खोज रही हैं, तब भारत का DBT मॉडल एक प्रभावी, पारदर्शी और समावेशी प्रणाली के रूप में अन्य देशों के लिए अनुकरणीय उदाहरण बनकर उभरा है।
