नई दिल्ली, 16 अप्रैल 2025 — दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) द्वारका को फीस न भरने पर छात्रों के साथ अमानवीय व्यवहार करने पर कड़ी फटकार लगाई है। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने कहा कि छात्रों को लाइब्रेरी में बंद कर कक्षाओं में शामिल न होने देना अपमानजनक है, और यह व्यवहार स्कूल को “बंद करने योग्य” बनाता है।
कोर्ट में जब पीड़ित छात्र और उनके माता-पिता उपस्थित हुए, तो माहौल भावुक हो गया। छात्र अपने स्कूल यूनिफॉर्म में किताबें और बैग लेकर आए थे। न्यायाधीश ने टिप्पणी की, “छात्रों को ग़ुलामों की तरह ट्रीट किया गया है। फीस न भर पाने की स्थिति में भी छात्रों के साथ इस तरह का बर्ताव अस्वीकार्य है।”

जिला मजिस्ट्रेट (दक्षिण-पश्चिम) के नेतृत्व में बनी आठ सदस्यीय निरीक्षण समिति की रिपोर्ट ने स्कूल में भेदभावपूर्ण प्रथाओं का खुलासा किया। रिपोर्ट को कोर्ट ने “चिंताजनक स्थिति” बताया। अभिभावकों ने आरोप लगाया कि स्कूल प्रबंधन ग़ैर-अधिकृत फीस नहीं भरने पर बच्चों को परेशान करता रहा।
कोर्ट ने स्कूल को आदेश दिया कि वह छात्रों को कक्षाओं में भाग लेने से न रोके, उन्हें लाइब्रेरी में न बंद करे और अन्य छात्रों से अलग न करे। कोर्ट ने यहां तक कहा कि “प्राचार्य के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलना चाहिए।”
दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने भी 8 अप्रैल को स्कूल को डि-रिकग्निशन की चेतावनी देते हुए नोटिस जारी किया है।
यह मामला शिक्षा प्रणाली में मानवीय मूल्यों और जवाबदेही की अहमियत को रेखांकित करता है।
