बीजापुर मुठभेड़: सुरक्षा बलों ने 31 नक्सलियों को किया ढेर, दो जवान शहीद

बीजापुर: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा बलों को एक बड़ी सफलता मिली है। 9 फरवरी को बीजापुर जिले के इंद्रावती टाइगर रिजर्व के जंगलों में हुई मुठभेड़ में 31 नक्सलियों को मार गिराया गया, जिसमें 11 महिला नक्सली भी शामिल थीं। यह छत्तीसगढ़ के 24 वर्षों के इतिहास में दूसरा सबसे बड़ा नक्सल विरोधी अभियान रहा, जहां एक ही मुठभेड़ में इतनी बड़ी संख्या में नक्सली मारे गए। इससे पहले, 4 अक्टूबर 2024 को दंतेवाड़ा और नारायणपुर सीमा पर 38 नक्सली मारे गए थे।

हालांकि, इस कार्रवाई में दो जवानों—हेड कांस्टेबल नरेश ध्रुव और कांस्टेबल जग्गू कलमु ने शहादत दी, जबकि दो अन्य जवान घायल हुए, जिन्हें इलाज के लिए रायपुर एयरलिफ्ट किया गया।

कैसे हुई यह बड़ी कार्रवाई?

सूत्रों के मुताबिक, नक्सलियों के तीन प्रमुख गढ़ हैं:

  1. अबूझमाड़ (नारायणपुर और कांकेर जिले)
  2. सुकमा जिले के तर्रेम और चिंतलनार क्षेत्र (नक्सलियों की ‘बटालियन नंबर 1’ का गढ़)
  3. इंद्रावती टाइगर रिजर्व (नक्सलियों की ‘नेशनल पार्क एरिया कमेटी’ का ठिकाना)

इस बार सुरक्षा बलों ने इंद्रावती टाइगर रिजर्व में नक्सलियों के गढ़ पर हमला करने की योजना बनाई। 650 से अधिक डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG) के जवानों को इस अभियान में लगाया गया था। अभियान गुप्त खुफिया जानकारी के आधार पर प्लान किया गया और जवानों को बहुत तेजी से मूव करने का आदेश दिया गया ताकि नक्सली सतर्क न हो सकें।

कैसे हुई मुठभेड़?

👉 9 फरवरी की सुबह 8 बजे पहली गोली चली और जंगलों में दोपहर 1 बजे तक लगातार गोलीबारी होती रही।
👉 मुठभेड़ मदेड और फरसेगढ़ के जंगलों में हुई।
👉 नक्सलियों ने बैरेल ग्रेनेड लॉन्चर (BGL) का इस्तेमाल किया, जिससे हेड कांस्टेबल नरेश ध्रुव और कांस्टेबल जग्गू कलमु शहीद हो गए।
👉 मुठभेड़ के बाद जब जवानों ने इलाके की तलाशी ली, तो 31 नक्सलियों के शव बरामद हुए।
👉 मौके से AK-47, SLR, INSAS और .303 राइफलें सहित भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया गया।

नक्सली संगठन पर बड़ा हमला

इस ऑपरेशन में मारे गए नक्सली ‘नेशनल पार्क एरिया कमेटी’ के थे, जो छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा पर सक्रिय है। पुलिस को शक है कि मारे गए नक्सलियों में कुछ ‘तेलंगाना स्टेट कमेटी’ के सदस्य भी हो सकते हैं।

यह पूरी कार्रवाई छत्तीसगढ़ पुलिस ने अपने स्तर पर अंजाम दी, इसमें केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की कोई भागीदारी नहीं थी।

पिछले एक साल में 270 नक्सली ढेर

छत्तीसगढ़ में पिछले एक साल में 270 से अधिक नक्सली मारे जा चुके हैं।

  • 2024 में बस्तर में 217 नक्सली मारे गए।
  • 2025 में अब तक 56 नक्सली मारे गए।

सुरक्षा बलों की रणनीति में सटीक खुफिया जानकारी और अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग शामिल है। इसके अलावा, नक्सल गढ़ों में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाकर नक्सलियों की गतिविधियों को नियंत्रित किया जा रहा है।

नक्सलवाद खत्म करने की समय सीमा: मार्च 2026

केंद्र सरकार ने मार्च 2026 तक नक्सलवाद खत्म करने का लक्ष्य रखा है। हाल ही में, 60 लाख रुपये के इनामी नक्सली जैराम उर्फ चलपति को गारीबंद जिले में मार गिराया गया था। इसके अलावा, सुरक्षा बलों ने नक्सली कमांडर मदवी हिडमा को घेरने में सफलता पाई थी, लेकिन वह बच निकला।

हालांकि, इस बीच नक्सलियों ने 6 जनवरी 2025 को बीजापुर में IED ब्लास्ट कर 8 जवानों और एक वाहन चालक की हत्या कर दी थी। बावजूद इसके, सुरक्षा बल लगातार ऑपरेशन को तेज कर रहे हैं।

इंद्रावती टाइगर रिजर्व: नक्सलियों का गढ़

इंद्रावती टाइगर रिजर्व छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा बाघ अभयारण्य है, लेकिन नक्सली प्रभाव के कारण वन विभाग यहां प्रशासनिक नियंत्रण नहीं रख पाता।

  • यह राज्य में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले जंगली भैंसों (वाइल्ड बफेलो) का एकमात्र ठिकाना भी है।
  • नक्सलियों की ‘नेशनल पार्क एरिया कमेटी’ इस क्षेत्र में सक्रिय रहती है।

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की पकड़ मजबूत

बीते कुछ वर्षों में सुरक्षा बलों की आक्रामक रणनीति से नक्सलियों को भारी नुकसान हुआ है।

  • आधुनिक तकनीक और गुप्त खुफिया जानकारी के इस्तेमाल से नक्सल गढ़ों में घुसपैठ बढ़ाई जा रही है।
  • सिक्योरिटी वैक्यूम एरिया’ यानी जहां सरकार का नियंत्रण कम था, वहां भी अब फोर्स तैनात की जा रही है।

निष्कर्ष

बीजापुर में 31 नक्सलियों की मौत सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी कामयाबी है। यह नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। अब देखना यह होगा कि सुरक्षा बल इस अभियान को कितनी तेजी से आगे बढ़ाते हैं और क्या सरकार 2026 तक नक्सलवाद पर पूरी तरह नियंत्रण पा सकेगी।

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