त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग परिसर में घुसपैठ की घटना पर भारत ने गहरी चिंता व्यक्त की है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस घटना को “गंभीर रूप से खेदजनक” करार देते हुए कहा कि किसी भी परिस्थिति में राजनयिक और वाणिज्यिक संपत्तियों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।
यह घटना सोमवार को हुई, जब बांग्लादेशी मिशन के आसपास सैकड़ों लोग एक बड़े विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। वे बांग्लादेश में हिंदू साधु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और वहां अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।
प्रदर्शन के दौरान, 50 से अधिक लोगों ने कथित तौर पर बांग्लादेशी मिशन के परिसर में घुसपैठ की, जिससे परिसर में अफरातफरी मच गई। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने इस घटना पर नाराजगी जताई है और इसे “सहायक उच्चायोग पर हिंसक हमला” और “बांग्लादेशी झंडे का अपमान” करार दिया है।
भारत ने बांग्लादेश के उच्चायोग और अन्य मिशनों की सुरक्षा बढ़ाने का आश्वासन दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि बांग्लादेश सरकार को अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। भारत ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा और कट्टरपंथी बयानबाजी पर गंभीर चिंता जताई है।
भारत ने साधु चिन्मय कृष्ण दास पर देशद्रोह के आरोप में हुई गिरफ्तारी को न्यायपूर्ण और पारदर्शी तरीके से निपटाने की मांग की है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री शेख हसीना के अगस्त में सत्ता से बाहर होने के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के आने से भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में तनाव आ गया है।
पिछले सप्ताह भी बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों की घटनाएं सामने आईं। एक पत्रकार मुन्नी साहा को कट्टरपंथियों के दबाव में हिरासत में लिया गया था।