बीजिंग। चीन ने प्रभावशाली एशियाई बौद्ध भिक्षुओं का एक बड़ा सम्मेलन आयोजित किया है जहां उसके शीर्ष भिक्षु ने कहा कि बीजिंग ने वैश्विक स्तर पर बौद्ध धर्म के प्रचार में “महत्वपूर्ण भूमिका” निभाई है। बौद्ध धर्म पर सम्मेलन मार्च के अंतिम सप्ताह में हैनान प्रांत के बोआओ में आयोजित ‘बोआओ फोरम फॉर एशिया एनुअल कॉन्फ्रेंस’ का हिस्सा था।
यहां आधिकारिक मीडिया की एक खबर के अनुसार, इस साल के फोरम में, चीनी बौद्ध भिक्षुओं ने श्रीलंका, नेपाल, जापान, वियतनाम, कंबोडिया और दक्षिण कोरिया के अपने समकक्षों के साथ पहली बार एक संवाद सत्र आयोजित किया। चीनी विचारक संस्था द्वारा आयोजित सम्मेलन में भारत का कोई प्रतिनिधित्व नहीं था, जहां से बौद्ध धर्म 68 ईस्वी में चीन आया था। हाल के दशकों में, चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) ने 1966 से 1976 तक अपने संस्थापक नेता माओत्से तुंग की सांस्कृतिक क्रांति के दौरान बौद्ध मंदिरों पर कार्रवाई के बाद बौद्ध धर्म के ‘सिनिसाइज्ड’ या चीनी संस्करण को देश में अपनाने की अनुमति दी है, जिसका उद्देश्य समाज से पूंजीपतियों के अवशेषों और पारंपरिक तत्वों को बाहर निकालना है।
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बीजिंग बौद्ध धर्म के वैश्विक प्रभाव को भुनाने के अपने प्रयासों के तहत इसे विश्व स्तर पर पेश करना चाहता है। बोआओ में बैठक में चीन के बौद्ध संघ के अध्यक्ष यान जुए ने कहा, “चीनी बौद्धों ने, धर्मग्रंथों के बड़े पैमाने पर अनुवाद, बौद्ध विचारों की व्याख्या, संप्रदायों की स्थापना, संस्थागत नवाचार और सांस्कृतिक एकीकरण के माध्यम से, बुद्ध के मूल इरादे को मूर्त रूप दिया, विरासत में मिले बौद्ध धर्म के सार को आत्मसात किया, पूर्व एशियाई संस्कृतियों, सभ्यताओं, समाजों और लोगों ने जापान, दक्षिण कोरिया और वियतनाम जैसे देशों में बौद्ध धर्म के प्रसार को बढ़ावा देने के साथ बौद्ध धर्म की अनुकूलता को बढ़ाया।