नई दिल्ली। ‘पुरानी पेंशन’ के मुद्दे पर केंद्र और राज्यों के सरकारी कर्मचारी लामबंद होने लगे हैं। दिल्ली का रामलीला मैदान, पुरानी पेंशन के लिए सरकारी कर्मियों की लड़ाई का गवाह बन रहा है। दो विशाल रैलियों के बाद 3 नवंबर को कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एंप्लाइज एंड वर्कर्स ने रामलीला मैदान में बड़ी रैली करने की घोषणा की है। अभी यह रैली होनी है, लेकिन इससे पहले ही रामलीला मैदान में चौथी विशाल रैली, जिसे ‘पेंशन जयघोष महारैली’ का नाम दिया गया है, की तैयारी शुरू हो गई है।
ऑल इंडिया एनपीएस एंप्लाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजीत पटेल का कहना है कि ‘पेंशन जयघोष महारैली’, ‘नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत’ के बैनर तले 10 दिसंबर को होगी। यह एक निर्णायक रैली होगी। अगर उस समय तक केंद्र सरकार, पुरानी पेंशन बहाल नहीं करती है तो उस रैली में अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की जाएगी।
डॉ. मंजीत पटेल के मुताबिक, 10 दिसंबर की रैली में केंद्र और राज्यों के कर्मचारी संगठन हिस्सा लेंगे। लंबे समय से इस रैली की तैयारियां चल रही हैं। ओपीएस के लिए गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) की संचालन समिति के सदस्य डॉ. मंजीत बताते हैं कि दस दिसंबर की रैली में करीब डेढ़ दर्जन केंद्रीय संगठन और अनेक प्रदेशों की एसोसिएशन/फेडरेशन, शिरकत करेंगे।
केंद्र सरकार के लिए यह रैली एक अल्टीमेटम है। अगर सरकार ने दिसंबर में ओपीएस बहाली को लेकर कोई पुख्ता घोषणा नहीं की, तो जनवरी 2024 से हड़ताल शुरू होगी। केंद्र सरकार की तरफ से जुलाई में ऑल इंडिया एनपीएस एंप्लाइज फेडरेशन से सुझाव मांगे गए थे। सरकार को लिखित में सुझाव दिए गए। उसके बाद भी सरकार की तरफ से कुछ नहीं बताया गया। स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद ‘जेसीएम’ के सचिव शिवगोपाल मिश्रा की तरफ से भी सरकार को सुझाव दिए गए हैं। बतौर डॉ. पटेल, सरकार एनपीएस में शामिल लोगों से प्रत्यक्ष तौर पर बातचीत नहीं कर रही है।
केंद्र और राज्यों के कर्मचारी संगठनों ने सरकार को स्पष्ट तौर से बता दिया है कि उन्हें बिना गारंटी वाली ‘एनपीएस’ योजना को खत्म करने और परिभाषित एवं गारंटी वाली ‘पुरानी पेंशन योजना’ की बहाली से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। नई दिल्ली के रामलीला मैदान में दस अगस्त को कर्मियों की रैली हुई थी। ओपीएस के लिए गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) की संचालन समिति के राष्ट्रीय संयोजक एवं स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद ‘जेसीएम’ के सचिव शिवगोपाल मिश्रा ने रैली में कहा था, लोकसभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन लागू नहीं होती है, तो भाजपा को उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। कर्मियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर यह संख्या दस करोड़ के पार चली जाती है। चुनाव में बड़ा उलटफेर करने के लिए यह संख्या निर्णायक है।