रायपुर, (छत्तीसगढ़)। रायगढ़ के राम लीला मैदान में तीन दिनों तक आयोजित प्रथम राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आगाज हो चुका है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज इसका शुभारंभ किया। शुभारंभ अवसर पर यहां से करीब 4500 किमी दूर 12 सदस्यीय कम्बोडिया की अंतर्राष्ट्रीय रामायण टीम ने मनमोहक प्रस्तुति दी। मंचन कंबोडिया की भाषा से लेकर कन्नड भाषा व अन्य प्रांतों की स्थानीय भाषा में किया जा रहा है, लेकिन यह दर्शकों के लिए असुविधाजनक नहीं बन रहा है। कंबोडिया के कलाकारों ने अपने आकर्षक वेशभूषा के साथ 25 मिनट की प्रस्तुति में दर्शकों का दिल जीत लिया। मौका था अहिरावण हनुमान प्रसंग का।
कम्बोडिया रामायण टीम द्वारा अहिरावण प्रसंग की संगीतमय प्रस्तुति की गयी। इस प्रसंग में रावण के भाई अहिरावण श्री राम को मूर्छित कर पाताल लोक ले जाए जाते हैं। हनुमान राम को सकुशल लाने के लिए पाताल लोक जाते हैं जहां हनुमान का सामना उनके पुत्र मकरध्वज से होता है। युद्ध में दोनों की लड़ाई होती लेकिन इसमें किसी जीत या हार नही होती। अंत में हनुमान, श्रीराम को वापस लाते हैं। इस प्रसंग को बड़े ही भावपूर्ण तरीके से प्रस्तुति दी गई।
कर्नाटक से आए कलाकारों की आकर्षक प्रस्तुति से दर्शक अभिभूत हुए। रावण द्वारा सीताहरण के मार्मिक दृश्य की नृत्य नाटिका के माध्यम से प्रस्तुति दी गई। कन्नड़ भाषा में हुए इस मंचन का मुख्य आकर्षण वेशभूषा और मुकुट बना। कन्नड़ में यक्षगान की सुंदर परंपरा रही है।
विजयनगर साम्राज्य के दौर में राम कथा का मंचन अपने शीर्ष में पहुंचा। रामकथा की प्रस्तुति में शास्त्रीय परंपरा के साथ ही स्थानीय स्तर पर चल रही कला परंपरा को शामिल किया गया है। कन्नड़ प्रस्तुति में संस्कृत का गहरा प्रभाव दिख रहा है। साथ ही दक्षिण भारत का संगीत अपने विशिष्ट रूप में यहां नजर आ रहा है। जितना सुंदर मंच पर कलाकार प्रदर्शन कर रहे हैं, उतनी ही सुंदर प्रस्तुति वाद्ययंत्रों पर बैठे कलाकारों की भी है। इससे एक विशिष्ट कला की सृष्टि हो रही है। रामकथा केवल लोगों को प्रेरित नहीं कर रही बल्कि उन्हें कला की सूक्ष्मताओं पर भी बता रही है। दर्शकों के लिए यह सुंदर अनुभव है।
पहले दिन उत्तराखंड के कलाकारों द्वारा भी रामायण की प्रस्तुति दी गई। उत्तराखंड के कलाकारों ने अरण्यकांड पर दी गई मनमोहक प्रस्तुति में शूर्पणखा की नाक कटने के प्रसंग पर भाव पूर्ण मंचन किया। प्रस्तुतियों में सुंदर वाद्य यंत्रों और संस्कृत भाषा का सुमधुर प्रभाव नजर आया। दर्शक एलईडी स्क्रीन से रामायण के मंचन का आनन्द ले रहे है।
जांजगीर-चाम्पा के कलाकारों द्वारा प्रस्तुति में सुमधुर गीतों के बीच श्री राम और जानकी को वनवास के लिए प्रयाण करते हुए दिखाया गया। अरण्य कांड की आरंभिक कथा पर आधारित है जांजगीर के कलाकरों की प्रस्तुति। अरण्य कांड के सबसे आरंभिक दोहों में से एक है जयंत की कथा।