कर्नाटक विधानसभा, शीर्ष अदालत ने अयोग्य विधायकों को उपचुनाव में दावेदारी करने की दी अनुमति, स्पीकर ने लगाई थी रोक

कर्नाटक की 15 वीं विधानसभा के लिए अध्यक्ष द्वारा अयोग्य ठहराए गए 17 विधायकों को शीर्ष अदालत ने उपचुनाव में दावेदारी करने की अनुमति प्रदान कर दी है। न्यायमूर्ति एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने फैसले में यह भी कहा है कि उपचुनाव जीतने पर ये विधायक मंत्री बन सकते हैं या सार्वजनिक कार्यालय का प्रभार संभाल सकते हैं। शीर्ष अदालत की बुधवार को यह फैसला दिया है।

नई दिल्ली। कर्नाटक में रिक्त विधानसभाओं के लिए 5 दिसंबर को उपचुनाव होना है। पिछले चुनाव में निर्वाचित 17 विधायकों को कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष अयोग्य ठहरा दिया गया था। इन विधायकों 15 वीं कर्नाटक विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने तक अयोग्य ठहराया गया था। विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले को अयोग्य विधायकों द्वारा शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई थी। शीर्ष अदालत ने 17 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के फैसले को बुधवार को बरकरार रखते हुए सभी विधायकों को पांच दिसंबर को होने वाले उपचुनाव लडऩे की अनुमति भी दे दी। शीर्ष अदालत ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले का वह हिस्सा हटा दिया, जिसमें कहा गया था कि ये विधायक 15वीं कर्नाटक विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने तक अयोग्य ही रहेंगे। शीर्ष अदालत ने कहा कि उसका फैसला मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर आधारित है और यह अध्यक्ष के विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने संबंधी अधिकार में हस्तक्षेप नहीं करता। शीर्ष अदालत के इस फैसले से अयोग्य ठहराए गए विधायकों के लिए कर्नाटक में पांच दिसंबर को होने जा रहे उपचुनाव दावेदारी करने का रास्ता साफ हो गया है। न्यायालय ने विधायकों द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल किए बिना सीधे शीर्ष अदालत में याचिका को दाखिल किए जाने पर नाराजगी भी जाहिर की है।

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