इसरो के पूर्व वैज्ञानिक ने सराहा सीएम बघेल की सोच को : कहा आप केवल चीफ मिनिस्टर नहीं, आप साइंटिफिक चीफ मिनिस्टर हैं

रायपुर (छत्तीसगढ़)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज राजधानी रायपुर में आयोजित सारबोन यूनिवर्सिटी ऑफ पेरिस, फ्रांस के कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम में श्री अरोबिंदो योग एंड नॉलेज फाउंडेशन से आये संस्थान के डायरेक्टर डॉ समरेंद्र घोष ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के बारे में आज जानकारी मिली कि आज पता चला कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के घर में एक छोटी सी लायब्ररी है। इसमें विवेकानंद और अरबिंदो जैसे विचारकों की किताबें हैं। उनमें ये गहरी रुचि रखते हैं। मुख्यमंत्री ने ग्रामीण विकास के लिए नरवा जैसे नवाचार लाये हैं जो ग्रासरूट लेवल पर लोगों के जीवन को प्रभावित करते हैं। सर्कुलर इकॉनमी का कांसेप्ट बताते हुए उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों की उद्यमिता को बढ़ाते हुए और वो भी स्थानीय संसाधनों से इसे बढ़ाते हुए वो अच्छा काम कर रहे हैं।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि फ्रांस की प्रतिष्ठित सोरबोन यूनिर्विसिटी ने छत्तीसगढ़ शासन के विकास कार्यक्रमों को सराहा है, और मुझे आज डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा है, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। मुख्यमंत्री ने कहा आज मेरा सम्मान हुआ है। मेरा परिवार भी साथ है। सबसे अच्छी बात है कि मेरा पोता भी साथ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरे पास एक किताब विनोबा जी की है। उसमें उन्होंने लिखा है कि भारत में महात्मा गांधी, रविन्द्र नाथ, रामकृष्ण परमहंस जैसी विभूति रही हैं और उनका योगदान हमारी मनीषा को बनाने में है। बिना अस्त्र के लड़ाई की कल्पना संभव है क्या, महात्मा गांधी ने इसे साकार किया।

अरोबिंदो के योगदान को याद करते हुए उन्होंने कहा कि जब आप निर्लिप्त भाव से कर्म करेंगे तो द्वेष रहित होकर काम करेंगे। जो लोग नैतिकता को प्रधानता देते हैं। वे धन से दूर होते हैं। श्री माँ ने कहा कि नैतिक लोगों को धन से दूर नहीं होना चाहिए। उनके हाथ में धन होगा तो वे सार्थक उपयोग करेंगे। हम ऐसे ही समृद्ध प्रदेश से हैं। भौगोलिक रूप से हम समृद्ध है। हमारे पास जंगल है। हिमालय के बाद सबसे अधिक नाले हमारे यहां हैं। खनिज संसाधन हमारे यहां पर्याप्त है। दुनिया भर में बैटरी गाड़ी की डिमांड हो रही है। हमारे यहां लिथियम है।

मुख्यमंत्री बघेल ने बताया आरबीआई के सर्वे के मुताबिक यहां हमारे यहां गरीबी रेखा के नीचे बड़ी आबादी है। उद्योग भी हैं फिर भी गरीबी है। देश के आकांक्षी जिलों में 10 हमारे यहां है जबकि दंतेवाड़ा और कोरबा में प्लांट भी हैं। फिर भी इन जिलों में गरीबी है। यह सब देखते हुए एक नए समाधान की जरूरत भी है। आवारा पशुओं की समस्या है। इसे हल करने की दिशा में काम करने की जरूरत थी। इन संसाधनों का पर हावी उपयोग जरूरी था और हम सबने इसके लिए नीति बनाई। केवल उद्योग धंधों को बढ़ाने से बात नहीं बनेगी, संसाधनों के बेहतर उपयोग की भी जरूरत है और हमने प्रकृति को सहेजते हुए विकास कार्य करने का निश्चय किया। 13 हजार नाले हमने ट्रीट किये लेकिन एक इंच जमीन भी नहीं डूबी, यह नवाचार है। एक एक बूंद बचा भी ली और किसानों को कष्ट भी नहीं हुआ।
उन्होंने कहा हमने जमीन की डिटेल स्टडी की। 13 प्रकार के डिटेल लिए। वाटर रिचार्जिंग काम किया। कहीं भी स्टॉप डैम नहीं बनाया। सैंडी साइल में यह काम नहीं किया। इसका कोई लाभ नही होता। सही जगह पर नरवा योजना लाने से लाभ यह हुआ कि 7 सेमी से 70 सेमी तक जल स्तर बढ़ गया। गौठान के माध्यम से डेढ़ लाख हेक्टेयर जमीन हमने ग्रामीण विकास के लिए आरक्षित कर ली। पशुधन को गौठान से जोड़ा। वहां चारे की व्यवस्था की। कोरोना के 2 साल कठिन रहे, फिर भी गौठान व्यवस्थित हो गए। गोधन न्याय योजना से सबसे ज्यादा उन लोगों को लाभ हुआ जो गरीबी रेखा के नीचे थे। उनकी आय की निश्चित व्यवस्था हो गई।
हम लोगों ने 50 हजार लीटर गोबर पेंट बनाये हैं। शासकीय भवनों में पुताई इससे ही हो रही है। जगदलपुर में गोबर से हम बिजली बना रहे हैं। हम कार्बन उत्सर्जन नहीं कर रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने के लिए कार्य कर रहे हैं। जो प्रकृति से लिया है वही प्रकृति को लौटा रहे हैं यही तो हमारे वेदों का संदेश है।
मुख्यमंत्री ने कहा हमारी योजनाओं से जो ग्रामीण विकास से संबंधित है। 1 लाख 66 हजार महिलाओं को इससे रोजगार मिला है। काजू का ही उदाहरण लें, इसे प्रसंस्कृत कर ये लोग लाभ ले रहे हैं। अबूझमाड़ में फुलझाडू की बात लें। उन्हें प्रशिक्षण दिया और पिछले तीन सालों से दिल्ली में इसकी सप्लाई छत्तीसगढ़ की महिलाएं कर रही हैं। तीखुर हमारे यहां स्वादिष्ट वनोपज है। बहुत तरलता देता है। इसकी खरीदी की वैल्यू एडिशन की कोई योजना नहीं थी। हमने इसे किया। मिलेट्स के लिए हम लोग काम कर रहे हैं पूरे प्रदेश भर में मिलेट कैफ़े हैं। 75 हजार से अधिक ट्रैक्टर 4 साल में बिके हैं। यह किसानों के मजबूत होने की निशानी है। बड़े परिवर्तन गाँधी, अरबिंदो, श्री माँ के रास्ते पर चलकर किये जा सकते हैं। हमारा यही रास्ता है।

पूरे संबोधन को सुनने के बाद इसरो के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. टी. एन. सुरेश ने कहा कि मुख्यमंत्री जी आप केवल चीफ मिनिस्टर नहीं हैं। आप साइंटिफिक चीफ मिनिस्टर हैं। आपका सम्बोधन सुनकर बहुत अच्छा लगा। आपका संबोधन हमको प्रेरित करता है कि अपने परिवेश के बारे में सही समझ और वैज्ञानिक चेतना से हम बहुत आगे बढ़ सकते हैं।