नई दिल्ली। जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की भारत यात्रा हिंद प्रशांत क्षेत्र के दोनों सहयोगियों के लिए बेहद अहम है। भारत और जापान दोनों ही क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामता से परेशान हैं, इतना ही नहीं मिलकर इसका सामना करने को तैयार हैं। भारत यात्रा के दौरान किशिदा ने इसी संबंध में मुक्त और खुले इंडो पैसिफिक पहल की घोषणा की। किशिदा ने कहा कि वह मुक्त और खुले इंडो-पैसिफिक की नीति को बढ़ावा देना चाहते हैं।
जापान की यह पहल चीन की बढ़ती आक्रामकता को रोकने के लिए है, जिसका सामना भारत भी कर रहा है। इसके जरिए जापान उभरती अर्थव्यवस्थाओं को समुद्री सुरक्षा के लिए समर्थन, तट रक्षक गश्ती नौका, उपकरण और अन्य बुनियादी ढांचें में सहयोग करेगा। जापान की मुक्त और खुले इंडो पैसिफिक की यह नीति, नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का एक हिस्सा है जो दिसंबर में अपनाई थी। इसके तहत जापान अपनी स्ट्राइक-बैक क्षमता को मजबूत करने के लिए लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों को तैनात कर रहा है।
शी जिनपिंग की सत्ताधारी चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी के भांपू अखबार ने किशिदा के भारत दौरे पर कई रिपोर्टें प्रकाशित की है। अपनी रिपोर्ट में अखबार लिखता है कि जापानी पीएम ने अपनी भारत यात्रा के दौरान चीन का जिक्र नहीं किया, लेकिन उन्होंने जिन मुद्दों पर बात की, वहां चीन से संबंधित हैं। जैसे जापानी की औद्योगिक चेन को भारत में स्थानांतरित करना और द्विपक्षीय सैन्य सहयोग को बढ़ावा देना। अखबार ने लिखा, दिसंबर 2022 में राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की मंजूरी के बाद से जापान सक्रिय रूप से अपने रणनीतिक इरादे को लागू कर रहा है। अमेरिका अपना अधिकांश ध्यान रूस पर लगा रहा है, जिससे जापान के लिए क्षेत्र में जगह बन रही है।
जापान साल की जी-7 बैठक को एक भू-राजनीतिक हथियार में बदलना चाहता है जो चीन, रूस और उत्तर कोरिया को लक्षित करेगा। किशिदा ने पीएम मोदी से मुलाकात के दौरान उन्हें जी-7 में हिस्सा लेने का निमंत्रण दिया, इस पीएम ने स्वीकार कर लिया। चीनी मीडिया का कहना है कि वैश्विक स्तर पर अपनी बढ़ती साख की अभिव्यक्ति के रूप में भारत जी-7 बैठक में हिस्सा जरूर लेगा। विशेषज्ञों का हवाला देकर अखबार का कहना है कि भारत इस मीटिंग में पश्चिमी देशों के साथ सहयोग, विशेष रूप से आर्थिक और सैन्य सहयोग को गहरा करने की भी उम्मीद कर रहा है।