रायपुर (छत्तीसगढ़)। गूगल पर सर्विस प्रोवाइडर्स के कस्टमर केयर नंबर के स्थान पर अपना नंबर डालकर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। झारखंड के जामताड़ा गैंग के 5 बदमाशों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपी झारखंड के रहने वाले हैं और बंगाल में छुपकर लोगों को फोन पर बातें करते हुए ठग लिया करते थे।
रायपुर के अलग-अलग थानों में पुलिस को गूगल कस्टमर केयर नंबर सर्च किए जाने के बाद लोगों को ठगे जाने की शिकायत मिल रही थी । सुदर्शन जैन ने पंडरी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि इन्होंने अपने बैंक से रजिस्टर मोबाइल नंबर बदलने के लिए कस्टमर केयर का नंबर गूगल पर सर्च किया। जो नंबर मिला उस पर बातचीत के बाद पे सपोर्ट नाम का एक ऐप डाउनलोड करने के लिए एजेंट की ओर से कहा गया । एप डाउनलोड करने के बाद इनके खाते से 14 लाख निकाल लिए गए।
इसी तरह पंडरी इलाके के कारोबारी सुभाष चंद्र जैन के खाते से 1 लाख 42000 निकाल लिए गए, रायपुर की रहने वाली संध्या काबरा के खाते से इसी तरह 2 लाख 12000 निकाल लिए गए। रायपुर के केदार प्रधान के खाते से भी इसी तरह लाखों रुपए की ठगी हुई।
लगातार हो रही इन ठगी की वारदातों की वजह से रायपुर पुलिस के अफसर हरकत में आए । फोन नंबर और खातों की जानकारी को ट्रेस करने पर बंगाल के दुर्गापुर में ठगों के लोकेशन की जानकारी मिली । इसके बाद रायपुर पुलिस की टीम बंगाल पहुंची । ठग छुपकर फर्जी नंबरों के जरिए इस पूरे कांड को अंजाम दे रहे थे। जिन लोगों के खातों पर रुपए ट्रांसफर हुए वह किसी और के नाम पर थे। जिन नंबर से लोगों को ठगने के लिए फोन किया गया वह नंबर भी किसी और के नाम से रजिस्टर थे।
मगर अलग-अलग लोगों से पूछताछ के बाद पुलिस को एक पुख्ता खबर मिली और उस मकान का पता चला जहां ठग छुपे थे। मकान में छापा मारकर 5 युवकों को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार किए गए युवकों में एमडी आलम, दिनेश राय, प्रकाश राज, महेंद्र सिंह और रोहित कुमार यादव शामिल थे। यह झारखंड के देवघर और जामताड़ा के रहने वाले हैं और इसी तरह लोगों को ठगने का काम पिछले लंबे वक्त से कर रहे थे।
मकान की तलाशी लेने पर पुलिस को इनके कब्जे से 16 मोबाइल फोन और अलग-अलग कंपनियों की 151 सिम कार्ड मिले। अलग-अलग बैंकों के 11 एटीएम कार्ड भी इनके पास से मिले, जिसका इस्तेमाल यह ठगी की रकम को निकालने में करते थे।
यह हैं ठगी करने का तरीका
हर नागरिक रुपयों के लेनदेन के लिए वॉलेट व बैंकिंग एप का उपयोग कर रहा है। कभी-कभी ट्रांजेक्शन फेल होने या सामने वाले को रुपए नहीं पहुंचने पर हड़बड़ी में कस्टमर केयर से सहायता लेना चाहते हैं। व्यक्ति इन वॉलेट व बैंक के कस्टमर केयर का नंबर गूगल पर ढूंढते हैं। ये अधिकांश नंबर साइबर ठगों के होते हैं, जो कस्टमर केयर बनकर सहायता करने का आश्वासन देते हैं। कस्टमर से उसके खाते की सारी गोपनीय जानकारी एटीएम पिन, ओटीपी पूछ लेते हैं या आपके मोबाइल पर एनीडेस्क नाम का एप्लीकेशन लोड करवा देते हैं। उन्होंने बताया एनीडेस्क एक तरह का रिमोट एक्सेस एप्लीकेशन है। इससे कनेक्ट करके साइबर ठग पीन में जान कर कस्टमर के खाते से रुपए निकाल लेते हैं।
जालसाज गूगल पर जाकर बड़ी कंपनियों के कस्टमर केयर की जगह अपना नंबर कंपनी के नाम से पोस्ट कर रहे हैं। इस तरह से नंबर और पता गूगल बिजनेस अकाउंट के जरिए गूगल पर लिस्ट किया जा रहा है। ठग लोगों को झांसा देने के लिए उस कंपनी से मिलती जुलती फेक वेबसाइट भी बना रहे हैं। इसके अलावा गूगल मैप और गूगल सर्च में बड़ी कंपनियों और अन्य संस्थानों के कांटेक्ट डिटेल्स को एडिट कर फर्जी नंबर अपडेट कर देते हैं।