दुर्ग (छत्तीसगढ़)। अस्पताल में पिछले रात डॉक्टर के साथ हुई मारपीट के मामले में एनएसयूआई द्वारा अपना पक्ष रखा गया है। इस मामले में की गई शिकायत पर सवालिया निशान लगाते हुए संगठन के पदाधिकारियों ने घटना के लिए डॉक्टर के व्यवहार को जिम्मेदार ठहराया है। एनएसयूआई के शहर अध्यक्ष हितेश सिन्हा घटना के सीसीटीवी फुटेज की जांच करा कर वास्तविक दोषियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की है।
सीएसपी विवेक शुक्ला को सौंपे गए उन्होंने बताया है कि 19 नवंबर की रात लगभग 9.30 बजे डॉ. जयंत चंद्राकर तेज रफ्तार दो पहिया वाहन से जिला चिकित्सालय परिसर में प्रवेश किया था। जिस पर अस्पताल परिसर के पार्किंग के कर्मचारियों द्वारा रोकने की कोशिश कि गई, किन्तु उसके द्वारा बाइक कि रफ्तार को और तेज करते हुए अस्पताल के अंदर ले जाकर खड़ी कर दिया गया। जिसे पार्किंग के कर्मचारियों के द्वारा समझाया गया, तो उसके द्वारा अस्पताल परिसर में मां-बहन कि बुरी बुरी गाली गलौज करने लगा। जिससे वहां पर अन्य लोगों को बहुत बुरा लगा। तब कर्मचारियों द्वारा उससे कहा गया कि भैया गाली गलौज मत करो अपनी वाहन स्टैंड पर लगाओ। जिस पर डॉक्टर चंद्राकर ने कहा कि मैं यहां स्टाफ का आदमी हूं। तुम लोगो को जो करना है करो, जिसको बताना है बताओ। तुम लोग मुझे अभी जानते नहीं हो। जिसके बाद कुछ अन्य लोगो को बुलाकर पार्किंग में अस्थाई रूप से बनाए गए गुमटी में तोड़ फोड़ किया गया। जहां पर रखे पार्किंग के हिसाब किताब के रुपए पैसे को भी ले गया।
उन्होंने सीएसपी विवेक शुक्ला से जिला चिकित्सालय दुर्ग में लगे सी सी टीवी के फुटेजों को निकलवा कर देखने व घटनाओं को निष्पकक्ष जांच करवाते हुए आरोपी डॉ. जयंत चंद्राकर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए ज्ञापन सौंपा गया। एनएसयूआई ने मांग कि गई की सीसी टीवी फुटेज को देखकर चिन्हित करे और दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की है।
ज्ञापन सौंपने वालों में शहर अध्यक्ष हितेश सिन्हा,अमोल जैन, विनिश साहू, हरीश देवांगन, विकाश राजपूत, विकाश साहू, सोनू यादव, गोल्डी कोसरे, नैमुर सहित एनएसयूआई के अन्य कार्यकर्ता मौजूद थे।
बदला लेने की नियत से प्रबंधन ने दर्ज करवाई एफआईआर
उन्होंने ज्ञापन में आरोप लगाया है कि इसके पूर्व एनएसयूआई द्वारा शासकीय चिकित्सालय के कुछ कर्मचारियों व डॉक्टरों के खिलाफ शिकायत किया गया था। जिसको लेकर चिकित्सालय के सीएस बालकिशोर देवांगन द्वारा देख लेने व झूठे केस में फंसा देने कि बात कही गई थी। ऐसा महसूस होता है कि पूर्व में किए गए शिकायतों को लेकर एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं को झूठे केस में फंसाया जा रहा है। डॉक्टरों द्वारा अपने निजी स्वार्थ के लिए मरीजों को प्राइवेट अस्पतलों में ले जाने के लिए बाध्य करना, एवं डिलवरी के समय महिलाओं कि नाजुक स्थिति का हवाला देकर, प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती करवाने का दबाव बनाया जाता है।