दिल्ली विश्वविद्यालय की ‘ऑनलाइन ओपन बुक एग्जाम’ पर डॉ. अनिल कुमार मीणा ने उठाए सवाल

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के अस्सिटेंट प्रोफेसर एवं प्रदेश युवा कांग्रेस प्रभारी डॉ. अनिल कुमार मीणा ने विश्विद्यालय द्वारा आयोजित की जा रही अॉनलाइन ओपन बुक एक्जाम पर सवालिया निशान लगाया है। उन्होंने इस प्रकार की व्यवस्था को मजाक निरूपित किया है।
उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी के कारण फिलहाल देश संकट के दौर से गुजर रहा है|  देश के अधिकांश शिक्षण संस्थानों में परीक्षा रद्द करने का निर्णय लिया गया। कोरोनावायरस के कारण फैली महामारी को देखकर विश्व के अधिकांश देशों की शिक्षण व्यवस्था दिसंबर तक स्थगित करने का निर्णय लिया गया है, लेकिन वही भारत में दिल्ली विश्वविद्यालय ने मिसाल प्रस्तुत करते हुए ‘ओपन बुक एग्जाम’ करवाने का निर्णय लिया। 9 अगस्त से दिल्ली विश्वविद्यालय में ओपन बुक एग्जाम शुरू हुए  जिसके कारण छात्र एवं अध्यापकों को अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

दिल्ली प्रदेश युवा कांग्रेस के प्रभारी डॉ अनिल कुमार मीणा ने बताया कि ‘ओपन बुक एग्जाम, से ग्रामीण परिवेश से आने वाले छात्र छात्राओं को अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। प्रत्येक छात्र के पास स्मार्टफोन  नहीं होने की वजह से कई छात्र परीक्षा देने से वंचित हो रह गए। जिन छात्र-छात्राओं के पास स्मार्टफोन थे वे ‘ऑनलाइन बुक एग्जाम’ देते समय अनेक प्रकार की  गलतियां कर बैठे।  जानकारी पूरी नहीं हो पाने के कारण वे छात्र भी असमंजस में है। दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। कई छात्रों के पास स्मार्टफोन होने के बावजूद इंटरनेट की व्यवस्था सुचारू रूप से नहीं होने के कारण परीक्षाओं में शामिल नहीं हो पाए। डॉ अनिल मीणा ने बताया कि ‘ओपन बुक एग्जाम’ से होने वाली समस्याओं को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के अनेक शिक्षक संगठनों ने दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन एवं सरकार को समझाने का प्रयास किया, लेकिन सरकार ने इसकी कोई सुध नहीं ली। उन्होंने कहा कि ओपन बुक एग्जाम से छात्रों की योग्यता का समीक्षा कर पाना मुश्किल है। जिसके कारण मेहनत करने वाले छात्र एवं मेहनत नहीं करने वाले छात्र बराबर की स्थिति में आने से शिक्षा व्यवस्था पर अनेक सवाल खड़ा कर रहे है। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन चाहता तो प्रत्येक कॉलेज के अध्यापक छात्रों का मूल्यांकन करके इस  को व्यवस्था से बचा सकता था, लेकिन मानव संसाधन विकास मंत्री निशंक पोखरियाल की खामोशी के कारण दिल्ली विश्वविद्यालय में नई शिक्षा व्यवस्था ने जन्म ले लिया है। जिसका दुष्परिणाम आने वाले समय पर छात्र एवं अध्यापकों को पर पड़ेगा। ऑनलाइन एग्जाम और ऑनलाइन  कक्षाएं लेने का जो सिलसिला शुरू हुआ है, उसकी आने वाली तकनीकी ज्ञान में अनभिज्ञता रखने वाले शिक्षकों पर गाज गिर सकती है।