खाली ज़मीन युवाओं की मेहनत से बनी उपवन, गांव को मिला पौधरोपण के लिए मनरेगा से 4.32 लाख का भुगतान

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। युवा चाहे तो पत्थर पिघला दे ,युवा चाहे तो नदी की धारा मोड़ दे और अगर युवा चाहे तो बंजर धरती को उपवन में  बदल दे।अपने भगीरथ प्रयास से ऐसा ही बड़ा कारनामा कर दिखाया है दुर्ग से 7 किलोमीटर दूर महमरा गांव के युवाओं ने। पेड़ पौधे लगाओं जीवन बचाओ का नारा लेकर महमरा गांव के युवाओं ने 2017 में जो मुहिम शुरू की थी वो आज आंखों को सुकून देने वाली एक खूबसूरत जगह में तब्दील हो गई है।
यहां के युवाओं को एहसास हुआ कि शहरीकरण तथा औद्योगिकरण से विकास तो हुआ मगर  पेड़-पौधे कम होने लगे। लहलहाते खेतों की जगह आसमान छूती इमारतें बनने लगीं। पेड़ों को बड़ी निर्दयता से काटा जा रहा था ये चिंता लेकर कर महमरा के युवा रोजगार सहायक गंगा प्रसाद के पास पहुंचे। फिर सरपंच खेमेश्वरी निषाद  और अन्य पंचों और ग्रामीणों का भी साथ मिला। अतिक्रमित  जमीन को कब्जा मुक्त कर वहाँ वृक्षारोपण करने के लिए का ग्राम सभा में  प्रस्ताव पारित किया गया।
जब युवाओं ने वृक्षारोपण की ठानी तो उनके इस प्रयास को शासन – प्रशासन का भी साथ मिला। वृक्षारोपण कार्य के लिए मनरेगा मद से 4 लाख 32 हजार रुपए मंजूर किए गए। जिससे श्रमिकों को मजदूरी भुगतान किया गया। जुलाई 2017 में काम शुरू हुआ और 0.30  हेक्टेयर में मिश्रित प्रजाति के 300 पौधे रोपे गए। सप्ताह में एक बार कीटनाशक का छिडकाव भी करवाया गया।मनरेगा के माध्यम से फैन्सिग और पंचायत का पम्प मिला पौधों को पानी देने के लिए।गांव के युवाओं को काम भी मिल गया।बीरबील निषाद जो यहां काम करते हैं उन्होंने बताया कि उनको मनरेगा के माध्यम यह काम मिला। पेड़ पौधे लगाकर पुण्य भी कमाया और घर चलाने के लिए रुपए भी कमाए। बीरबल ने इस पूरे दिल से  पौधों की देखभाल की काम किया। बीरबल का कहना है  काम करते- करते उनको इन पौधो से लगाव सा हो गया है ये अपने लगते हैं। रोजगार सहायक गंगा प्रसाद भी जी जान से लगे हैं इन पेड़ पौधों की रक्षा में। यहाँ पर सीताफल, अमरूद, करौंदा, नीम, गुलमोहर  के भी पौधे लगाए गए हैं। आज ये जगह इतनी खूबसूरत हो गई है कि अब राहगीर दो क्षण रुककर ये नज़ारा देखने रुक जाते हैं और अपनी थकान भी मिटा लेते हैं। जल्द ये पेड़ बड़े होंगे और गांव वालों को उनके फलों का स्वाद भी मिलेगा। गांव के पुनि ठाकुर, कुलेश्वरी निषाद , बिमला ठाकुर, धर्मेंद्र निषाद और नर्मदा निषाद बताते हैं सड़क के पास होने से पहले धूल प्रदूषण था अब वो भी कम होने लगा है।
वन होम वन ट्री अभियान में शामिल होंगे ग्रामीण
ग्रामीणों ने अब पेड़ पौधों का महत्व समझ लिया है। इसलिए वो अब नहीं रुकेंगे। वो जानते हैं कि जीवन के लिए वृक्ष कितने ज़रूरी हैं।इसलिए सबने शपथ ली है कि वे 6 जुलाई को पौधा ज़रूर लगाएंगे। प्रगति और पर्यावरण का संतुलन ज़रूरी है।

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