छत्तीसगढ़: प्रशासन की अनदेखी से नाराज़ ग्रामीणों ने खुद शुरू की रपटों की मरम्मत, चंदा और श्रमदान से बचा रहे ज़िंदगियां

गरियाबंद, 16 जून 2025:
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के ग्रामीणों ने प्रशासन की उदासीनता और वादाखिलाफी से तंग आकर अपनी सुरक्षा के लिए खुद ही मोर्चा संभाल लिया है। राजापड़ाव-शोभा मार्ग पर पड़ने वाले पांच बरसाती नालों में से बाघ नाला और शोभा नाला की क्षतिग्रस्त रपटों की मरम्मत का जिम्मा अब आम जनता ने उठा लिया है। इस प्रयास में 100 से अधिक ग्रामीण युवा श्रमदान और चंदा जुटाकर निर्माण कार्य में जुटे हैं।


ग्रामीणों का श्रमदान: जान बचाने की मुहिम

रविवार को गरहाडीह पंचायत के युवाओं ने बाघ नाला रपटा की मरम्मत की, जिसमें ढाई मीटर चौड़ी और चार मीटर लंबी स्लैब की 10 इंच मोटी ढलाई की गई। इसी प्रकार शनिवार को गौर गांव के युवाओं ने भी मरम्मत का कार्य किया था। सोमवार को कोकड़ी और गोना पंचायत के युवा बाकी बचे कार्य को पूरा करेंगे। आज सुबह शोभा गांव के युवाओं ने शोभा नाला की मरम्मत कर दी।


जन संगठन बना ताकत

इस पूरे अभियान की अगुवाई अंबेडकर वादी युवा संगठन कर रहा है। संगठन के अध्यक्ष पतंग मरकाम, उपाध्यक्ष रोहन नेताम, सचिव नकुल नागेश और पुरुषोत्तम परदे ने बताया कि अब तक दो रपटों के लिए करीब 5 लाख रुपये के मटेरियल का उपयोग किया जा चुका है। क्षेत्र के 8 पंचायतों ने मिलकर बैठक की और एक WhatsApp ग्रुप बनाया गया, जिसमें सभी निर्माण सामग्री और खर्च का लेखा-जोखा रखा जा रहा है। सरपंच, पंचायत प्रतिनिधि, व्यापारी, वाहन चालक और स्थानीय लोग मिलकर इस कार्य को सफल बना रहे हैं।


हर साल बारिश में होती हैं दुर्घटनाएं

ग्रामीणों के अनुसार, 2021 में डूमरबुडरा के एक दंपत्ति रामनाथ और सुगनतीन की रपटे पर बहकर मौत हो गई थी। इसके बाद हर साल स्कूली बच्चों के बहने की 4-5 घटनाएं हो चुकी हैं और 15 से अधिक बाइक सवार दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। प्रशासन से कई बार अनुरोध के बाद भी मरम्मत नहीं हुई, इसलिए ग्रामीणों ने जान जोखिम में डालने की बजाय स्व-सहायता से रपटा निर्माण का निर्णय लिया।


भूख हड़ताल पर भी मिला झूठा आश्वासन

जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम ने बताया कि 10 सूत्रीय मांगों को लेकर पिछले सप्ताह भूख हड़ताल की गई थी, जिसमें रपटों की मरम्मत भी शामिल थी। मैंनपुर एसडीएम द्वारा मरम्मत राशि स्वीकृत होने की बात कही गई थी, लेकिन आज तक कार्य प्रारंभ नहीं हुआ। 16 जून से स्कूल खुलने के चलते बच्चों की सुरक्षा के लिए ग्रामीणों ने खुद कार्य शुरू कर दिया।


पुल निर्माण को मिली प्रशासकीय मंजूरी, लेकिन कार्य अधर में

प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के एसडीओ कमलेश चंद्राकर ने बताया कि क्षेत्र के पांचों नालों पर उच्च स्तरीय पुलों की प्रशासकीय मंजूरी मिल चुकी है:

  • अड़गड़ी नाला: ₹2.31 करोड़
  • ज़रहीडीह नाला: ₹2.26 करोड़
  • शोभा नाला: ₹3.33 करोड़
  • बाघ नाला: ₹2.41 करोड़
  • गरहा बाघ नाला: ₹3.47 करोड़ (2021 में ही मंजूरी, अब तक 9 बार टेंडर किया जा चुका है)

हालांकि, सभी कार्य पीडब्ल्यूडी की सेतु शाखा द्वारा संचालित हैं और रपटों का रखरखाव अब संबंधित विभागों के पास है, इसलिए विभागीय मरम्मत संभव नहीं।


निष्कर्ष: सरकार सोई है, जनता जागी है

यह घटना प्रशासनिक विफलता और जनशक्ति की सफलता का प्रत्यक्ष उदाहरण है। जहां सरकारी योजनाएं कागज़ों तक सिमट कर रह गईं, वहां ग्रामीणों ने चंदा और श्रमदान से वह काम कर दिखाया, जो कई वर्षों से लंबित पड़ा था। यह न केवल सामाजिक एकजुटता की मिसाल है, बल्कि ग्राम स्वराज और आत्मनिर्भरता की भावना का प्रतीक भी है।

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