रैगारमुंडा और मुण्डाडीह में युक्तियुक्तकरण की पहल से शिक्षण व्यवस्था में आई नई जान, शिक्षक नियुक्ति से ग्रामीणों में खुशी की लहर

रायपुर, 07 जून 2025 – छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा चलाए जा रहे युक्तियुक्तकरण अभियान का असर अब जमीनी स्तर पर साफ़ दिखाई देने लगा है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में प्रदेश के दूरस्थ और आदिवासी बहुल क्षेत्रों में वर्षों से शिक्षक विहीन रहे स्कूलों में अब नियमित शिक्षकों की नियुक्ति हो रही है। इससे न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है, बल्कि ग्रामीणों का विश्वास भी शासन के प्रति और गहरा हुआ है।

फरसाबहार विकासखंड के दो प्राथमिक विद्यालय—रैगारमुंडा और मुण्डाडीह—जहां वर्षों से शिक्षक नहीं थे, वहां अब युक्तियुक्तकरण के तहत 2-2 नियमित शिक्षकों की तैनाती हो चुकी है। रैगारमुंडा शाला, जो मुख्यमंत्री श्री साय के विधानसभा क्षेत्र कुनकुरी में स्थित है, में शिक्षकों के आने से गांव में शिक्षा के प्रति माहौल पूरी तरह बदल गया है। पहले जहां स्कूल में बच्चों की उपस्थिति नाममात्र थी, अब अभिभावक अपने बच्चों का पुनः नामांकन कराने के लिए उत्साहित हैं।

इसी प्रकार मुण्डाडीह गांव में भी लंबे समय से शिक्षक न होने से पढ़ाई पूरी तरह ठप थी। अब यहां भी शिक्षकों की तैनाती से शिक्षा पुनः पटरी पर लौट रही है। गांव के लोगों ने शिक्षकों का आत्मीय स्वागत किया और इस बदलाव के लिए सरकार का आभार जताया।

ग्रामवासी श्रीमती शांति चौहान, जिनकी बेटी पांचवीं कक्षा में पढ़ती है, भावुक होकर कहती हैं, “अब हम निश्चिंत हैं कि हमारे बच्चे भी पढ़-लिखकर आगे बढ़ पाएंगे। शिक्षक आ गए हैं, ये हमारे लिए किसी त्योहार से कम नहीं।”

मुख्यमंत्री श्री साय ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “शिक्षा हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। हमने यह सुनिश्चित किया है कि सुदूर अंचलों तक शिक्षक पहुंचे। यह केवल प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि हमारे बच्चों के भविष्य को संवारने का संकल्प है।”

उन्होंने यह भी कहा कि आगामी शैक्षणिक सत्र तक सभी प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं में आवश्यक शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।

यह युक्तियुक्तकरण अभियान जशपुर के रैगारमुंडा और मुण्डाडीह जैसे गांवों में शिक्षा की लौ को फिर से प्रज्वलित कर रहा है। इससे न केवल शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ हो रही है, बल्कि ग्रामीणों में शासन के प्रति विश्वास और भागीदारी की भावना भी गहराई है। यह “सब पढ़ें, सब बढ़ें” के सरकारी संकल्प की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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