छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (21 फरवरी) के अवसर पर प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने छत्तीसगढ़ की समृद्ध भाषाई विरासत और सांस्कृतिक विविधता के महत्व को रेखांकित किया।
छत्तीसगढ़ की भाषाई पहचान
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ की पहचान इसकी बहुभाषी संस्कृति और समृद्ध भाषाई विरासत से जुड़ी हुई है। छत्तीसगढ़ी, गोंडी, हल्बी, सरगुजिया, कुरुख और भतरी जैसी भाषाएं केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि प्रदेश की सांस्कृतिक आत्मा का प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस हमें इन भाषाओं को संरक्षित, बढ़ावा देने और अगली पीढ़ी तक पहुंचाने की जिम्मेदारी याद दिलाता है।
मातृभाषा से जुड़े रहने की अपील
मुख्यमंत्री ने कहा कि मातृभाषा केवल संचार का साधन नहीं, बल्कि लोगों को उनकी जड़ों और परंपराओं से जोड़ने का सेतु है। छत्तीसगढ़ की लोकगीत, लोककथाएं और पारंपरिक ज्ञान इसकी मूल भाषाओं में गहराई से निहित हैं, जिन्हें युवा पीढ़ी तक पहुंचाना आवश्यक है, ताकि यह विरासत जीवंत बनी रहे।
भाषाओं को संरक्षित करने का आह्वान
मुख्यमंत्री श्री साय ने प्रदेशवासियों से अपनी मातृभाषा को बढ़ावा देने, बच्चों को अपनी मूल भाषा अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने और छत्तीसगढ़ की भाषाई विविधता को संरक्षित करने में योगदान देने की अपील की।
