छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के कुल्हाड़ीघाट में सुरक्षा बलों ने इस सप्ताह 16 नक्सलियों को मार गिराया, जिनमें से एक 1 करोड़ रुपये का इनामी केंद्रीय समिति का सदस्य था।
रायपुर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) अमरेश मिश्रा ने गुरुवार को मुठभेड़ का विवरण साझा करते हुए बताया कि नक्सलियों ने सुरक्षा बलों पर नजर रखने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया। मारे गए नक्सलियों पर कुल 5 करोड़ रुपये से अधिक का इनाम था। अमरेश मिश्रा ने यह भी बताया कि कुछ और नक्सली भी मारे गए हो सकते हैं, लेकिन उनके शवों को साथी नक्सली अपने साथ ले गए।
खुफिया जानकारी और ऑपरेशन
रविवार शाम को मिली खुफिया जानकारी के अनुसार, कुल्हाड़ीघाट की पहाड़ियों में 25-30 वरिष्ठ नक्सली नेताओं का जमावड़ा था। यह समूह ओडिशा और छत्तीसगढ़ के प्रमुख नक्सलियों का था, जो धन संग्रह, पंचायत चुनाव और बस्तर से सुरक्षित रास्ते बनाने की योजना पर चर्चा कर रहे थे।
ऑपरेशन को तीन चरणों में अंजाम दिया गया—योजना, सामरिक रणनीति और निगरानी। सुरक्षा बलों ने इसे डेढ़ दिन का ऑपरेशन समझा था, लेकिन यह तीन दिन (रविवार से बुधवार) तक चला।
इस सामरिक ऑपरेशन में ई-30 सैनिकों (गरियाबंद), सीओबीआरए 207, सीआरपीएफ की 65 और 211 बटालियनों और ओडिशा स्पेशल ऑपरेशन्स ग्रुप (एसओजी) की टीमों ने मिलकर हिस्सा लिया।
चुनौतीपूर्ण भूगोल
ऑपरेशन कुल्हाड़ीघाट की दुर्गम पहाड़ियों में हुआ, जहां भारी गोलीबारी हुई। सीमित राशन और कठिन परिस्थितियों के बावजूद, सुरक्षा बलों ने उच्च मनोबल और दृढ़ता का प्रदर्शन किया।
आईजी मिश्रा ने कहा, “सुरक्षा बलों ने तीन दिनों तक भूखे-प्यासे रहकर नक्सलियों का सामना किया।”
नक्सलियों ने दो ड्रोन के जरिए निगरानी की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा बलों ने स्थानीय ड्रोन का इस्तेमाल कर उनकी रणनीति को नाकाम कर दिया। नक्सलियों को त्रिकोणीय घेराबंदी में फंसा लिया गया, जिसमें ओडिशा एसओजी ने उनके राज्य में भागने के रास्ते बंद कर दिए और छत्तीसगढ़ के बलों ने बाकी हिस्सों को घेर लिया।
शीर्ष नेता मारे गए
मारे गए 16 नक्सलियों में 11 की पहचान हो चुकी है। इनमें सबसे बड़ा नाम जयाराम रेड्डी उर्फ चलपति का था, जो केंद्रीय समिति का सदस्य और एक प्रमुख रणनीतिकार था। 1991 से सक्रिय चलपति कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड था, जिसमें आंध्र प्रदेश के एक विधायक की हत्या भी शामिल है। उसकी गिरफ्तारी पर सरकार ने 1 करोड़ रुपये का इनाम घोषित किया था।
अन्य प्रमुख नामों में जयाराम उर्फ गुड्डू, एक सक्रिय संगठनकर्ता, और सत्याम गवड़े, कांकेर का शीर्ष कमांडर शामिल हैं। इन नेताओं पर कुल मिलाकर 5 करोड़ रुपये से अधिक का इनाम था।
आईजी मिश्रा ने कहा, “चलपति, गुड्डू और गवड़े की मौत नक्सली नेटवर्क और उनकी रणनीतियों को तोड़ने में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। 2026 तक बस्तर से माओवाद का खात्मा हमारा लक्ष्य है।”
रणनीतिक महत्व
कुल्हाड़ीघाट, 75 किमी के क्षेत्र में फैला एक आदिवासी-बहुल इलाका है, जिसमें सात गांव हैं। घने जंगल और दुर्गम पहाड़ इसे नक्सलियों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बनाते थे।
इस क्षेत्र ने दशकों तक ओडिशा, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ में नक्सली गतिविधियों का संचालन करने वाले शीर्ष नेताओं के लिए एक मुख्यालय के रूप में काम किया। अब यह ऑपरेशन नक्सलियों की पकड़ को कमजोर करने की दिशा में एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।