छत्तीसगढ़ में बी.एड धारक प्राथमिक शिक्षकों की नौकरी खतरे में, सरकार से न्याय की मांग

रायपुर: छत्तीसगढ़ में बी.एड धारक 2,800 से अधिक प्राथमिक शिक्षक पिछले महीने से न्यू रायपुर के तुता मैदान में धरना दे रहे हैं, क्योंकि उनकी नौकरी समाप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने इन शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

हाईकोर्ट ने 2 अप्रैल 2023 को अपने आदेश में कहा था कि बी.एड धारक प्राथमिक शिक्षक के पद के लिए पात्र नहीं हैं और डी.एल.एड धारकों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इसके बावजूद सितंबर 2023 में कई बी.एड धारकों को यह नौकरी दी गई थी, जो हाईकोर्ट के अंतिम निर्णय पर निर्भर थी। अब, अदालत के आदेश के बाद सरकार ने इन शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करना शुरू कर दिया है, जिससे ये शिक्षक लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

धरना स्थल पर 28 वर्षीय अमित वर्मा, जो भिलाई के रहने वाले हैं और रेलवे में ग्रुप डी की स्थायी नौकरी छोड़कर अपने शिक्षण के जुनून को पूरा करने के लिए प्राथमिक शिक्षक बने थे, भी शामिल हैं। उन्होंने सरकार से गुहार लगाई है कि उन्हें उनकी नौकरी वापस दी जाए।

राजनांदगांव की 28 वर्षीय पुष्पा उइके, जो अपने परिवार की एकमात्र कमाने वाली सदस्य हैं, ने कहा कि उन्होंने बेहतर स्थान पर प्राथमिक शिक्षक की नौकरी को चुना था, लेकिन अब उन्हें अपनी नौकरी खोने का डर सता रहा है।

कबीरधाम की दीपश्री तिवारी ने भी अपनी उच्च वेतन वाली व्याख्याता की नौकरी छोड़कर यह नौकरी ली थी। उन्होंने चिंता जताई कि यदि अगली भर्ती में देरी हुई तो वह 35 साल की उम्र की सीमा पार कर लेंगी और नौकरी के लिए आवेदन करने की पात्रता खो देंगी।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस मुद्दे को हल करने के लिए 3 जनवरी को एक समिति गठित की है। राज्य सरकार ने कहा है कि वह इस मामले की जांच कर उचित समाधान निकालने का प्रयास करेगी।

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