मृदा एवं जल संरक्षण कार्यशाला का शुभारंभ : सीएम बघेल ने कहा जंगलों के संरक्षण के साथ जंगल मे रहने वाले लोगों की भी चिंता जरूरी

रायपुर (छत्तीसगढ़)। मृदा एवं जल संरक्षण विषय पर आयोजित कार्यशाला में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आज पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंतित हैं, लेकिन जंगल मे रहने वाले लोगों की भी चिंता जरूरी। कोरोना के समय ऑक्सीजन का महत्व पता चला। छत्तीसगढ़ ने देश के कई इलाकों में ऑक्सीजन पहुँचाई। आज छत्तीसगढ़ में 67 प्रकार के लघुवनोपज की खरीदी हो रही।

सभी के साथ जंगल को भी पानी की जरूरत है। ग्राउंड वाटर पर्याप्त होना चाहिये। इसके लिए छत्तीसगढ़ में नरवा के 1 करोड़ 19 लाख स्ट्रक्चर बनाये गए हैं। उन्होंने कहा मैं जहां भी गया और सभी से सबसे अच्छी योजना के बारे पूछा, तो एक ही जवाब मिला नरवा योजना। हर जगह आदिवासियों ने नरवा योजना को सराहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा आज गांव के लोग और वन रक्षकों की दोस्ती हो गयी है। आज आदिवासी और वनांचल में रहने वाले वन विभाग को अपना दुश्मन नहीं मानते। वन विभाग के अधिकारी जंगल जाते हैं तो लोगों को लगता है हमारे लिए कोई नई योजना आयी है। यह परिवर्तन आया है छत्तीसगढ़ में। यह आपसी संबंध विकसित करने में हम सफल रहे हैं।

उन्होंने अपील की कि जंगल मे ऐसे वृक्ष लगाएं जो वनांचल में रहने वालों के लिए लाभदायक हों। जंगल मे फल देने वाले वृक्ष जरूर लगने चाहिए। इसके साथ ही उनकी बिक्री की भी व्यवस्था होनी चाहिए। फलदार वृक्षों को बढ़ावा देने से आमदनी बढ़ेगी, हरियाली रहेगी और जंगल भी बचे रहेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा वन विभाग सिर्फ जंगल का अभिभावक नहीं, बल्कि वहां रहने वाले लोगों का भी अभिभावक है।

कार्यशाला में मौजूद भारत सरकार के विशेष सचिव एवं महानिदेशक चन्द्र प्रकाश गोयल ने छत्तीसगढ़ के कार्यों की तारीफ की। उन्होंने कहा छत्तीसगढ़ में अन्य राज्यों की अपेक्षा भूमि एवं जल संरक्षण में बेहतर कार्य हो रहा। कार्यशाला को संबोधित करते हुए उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार की तारीफ की। आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय परामर्शी कार्यशाला में देशभर के वानिकी विशेषज्ञ शामिल हो रहे है। कार्यशाला में प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित एवं संवर्धित करने पर चर्चा की जा रही है।