बिलासपुर (छत्तीसगढ़)। बागेश्वर धाम वाले कथा वाचक पंडित धीरेंद्र शास्त्री को लेकर हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने उनके दिव्य दरबार को चुनौती दी है। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर पहुंचे शंकराचार्य ने कहा कि चमत्कार दिखाने वाले जोशीमठ आकर धसकती जमीन रोककर दिखाएं। फिर हम उनकी जय, जयकार करेंगे, नमस्कार करेंगे। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद शनिवार को बिलासपुर पहुंचे थे।
धर्मसभा के दौरान शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मीडिया से बात की। उन्होंने पंडित धीरेंद्र शास्त्री को लेकर कहा कि, हम बिलासपुर में हैं, वह रायपुर में हैं। उन्होंने वहां क्या कहा, इसकी हमें व्यक्तिगत जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि, किसी का भविष्य ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, फलादेश होता है। ज्योतिष शास्त्र के आधार पर अगर वहां कहा जा रहे और शास्त्र की कसौटी पर कसा हुआ है तो हम उसे मान्यता देते हैं।
शंकराचार्य ने कहा कि, मनमाना बोलने के लिए कोई संत अधिकृत नहीं है। हम भी नहीं हैं। कहा कि, अगर आपके पास अलौकिक शक्तियां आ गई हैं, जिससे धर्मांतरण रोक दें, घरों के झगड़ों में सुमति ला दें, आत्महत्या रोक दे, शांति स्थापित कर दें, तो हम चमत्कार मानेंगे। शंकराचार्य ने कहा कि, हमारे मठ में जो दरार आ गई हैं, उसे ठीक कर दें। जो चमत्कार हो रहे हैं, अगर जनता के लिए उपयोग हो तो जय-जयकार करेंगे, नमस्कार करेंगे, नहीं तो यह छलावा है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि, धर्मांतरण धार्मिक रूप से नहीं हो रहा है, उसका मकसद राजनीतिक है। धर्मांतरण का विरोध भी राजनीतिक कारणों से हो रहा है। उनको लगता है कि उनका वोट बढ़ जाएगा। इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि, धर्म और राजनीति अलग विषय हैं। दूसरे धर्म में राजा और धर्माचार्य एक होगा। जैसे इस्लाम में खलीफा होता है, इसाइयता में पोप है, लेकिन सनातन धर्म में ऐसा नहीं है। राजा अगर धर्म से विमुक्त जाएगा तो साधु-संन्यासी उसे दंड देगा।
दरअसल, सारा विवाद नागपुर की अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक और नागपुर की जादू-टोना विरोधी नियम जनजागृति प्रचार-प्रसार समिति के सह-अध्यक्ष श्याम मानव के बयान के बाद शुरू हुआ। पंडित धीरेंद्र शास्त्री हाल ही में नागपुर गए थे। वहां उन्होंने अपना दिव्य दरबार लगाया। हालांकि राम कथा समाप्त होने से दो दिन पहले ही चले गए। इस पर समिति ने अंध विश्वास फैलाने और डर का दरबार बताया। साथ ही भक्तों की समस्याएं और उनको लेकर किए जाने वाले दावों को सिद्ध करने के लिए कहा था।