Aravalli Hills Definition को लेकर उपजे विवाद पर अब देश की सर्वोच्च अदालत ने संज्ञान ले लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः (सुओ मोटो) मामला दर्ज करते हुए अरावली पहाड़ियों की बदली परिभाषा से जुड़े पर्यावरणीय खतरों की समीक्षा का फैसला किया है।
इस मामले की सुनवाई सोमवार, 29 दिसंबर को होने वाली है। छुट्टीकालीन पीठ में भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत, न्यायमूर्ति जे.के. महेश्वरी और ए.जी. मसीह शामिल होंगे।
🌍 क्यों अहम है अरावली पहाड़ियां?
अरावली पहाड़ियां सिर्फ एक पर्वत श्रृंखला नहीं हैं, बल्कि उत्तर भारत का पर्यावरणीय कवच मानी जाती हैं। ये:
- रेगिस्तान के फैलाव को रोकती हैं
- भूजल स्तर बनाए रखने में मदद करती हैं
- दिल्ली-NCR और आसपास के क्षेत्रों की जलवायु को संतुलित रखती हैं
इसी वजह से अरावली क्षेत्र में खनन और निर्माण पर लंबे समय से सख्त निगरानी रही है।
🚨 बदली परिभाषा से क्यों बढ़ी चिंता?
पर्यावरण संगठनों और सिविल सोसाइटी समूहों का कहना है कि अरावली की नई परिभाषा से उन इलाकों में भी खनन और निर्माण को वैधता मिल सकती है, जो अब तक संरक्षित थे।
आलोचकों के अनुसार, परिभाषा में ढील से:
- अनियंत्रित खनन को बढ़ावा मिल सकता है
- पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ सकता है
- जल संकट और प्रदूषण बढ़ने का खतरा है
इन्हीं आशंकाओं के चलते देशभर में विरोध प्रदर्शन भी हुए।
⚖️ सुप्रीम कोर्ट का पहले का फैसला
गौरतलब है कि दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में अरावली की अलग-अलग परिभाषाओं के कारण लंबे समय से कानूनी और प्रशासनिक भ्रम बना हुआ था। इससे अवैध खनन को भी बढ़ावा मिला।
इसी समस्या के समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पहले एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था। इस समिति की सिफारिशों को नवंबर में दिए गए फैसले में स्वीकार किया गया।
तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) की ओर से सुझाई गई ऑपरेशनल परिभाषा को मान्यता दी थी।
📌 नई परिभाषा क्या कहती है?
नई परिभाषा के अनुसार:
- अरावली पहाड़ियां (Aravalli Hills):
ऐसे भू-आकृतिक क्षेत्र जिनकी ऊंचाई स्थानीय स्तर से कम से कम 100 मीटर हो, साथ ही उनसे जुड़े ढलान और संरचनाएं। - अरावली रेंज (Aravalli Range):
जब ऐसी दो या अधिक पहाड़ियां 500 मीटर के भीतर स्थित हों।
हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि किसी भी नए खनन से पहले केंद्र सरकार को सस्टेनेबल माइनिंग मैनेजमेंट प्लान (MPSM) तैयार करना अनिवार्य होगा।
🔍 आगे क्या हो सकता है?
अब सुप्रीम कोर्ट की यह स्वतः संज्ञान वाली सुनवाई तय करेगी कि:
- क्या नई परिभाषा पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से पर्याप्त है?
- क्या खनन पर और सख्त शर्तें जरूरी हैं?
- क्या राज्यों की भूमिका पर फिर से विचार होगा?
Aravalli Hills Definition पर सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप यह संकेत देता है कि पर्यावरण से जुड़े मामलों में अदालत कोई ढील देने के मूड में नहीं है। यह फैसला आने वाले समय में खनन नीति, पर्यावरण संरक्षण और विकास संतुलन की दिशा तय कर सकता है।
देश की निगाहें अब 29 दिसंबर की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां अरावली के भविष्य पर अहम दिशा-निर्देश सामने आ सकते हैं।
