Unnao Rape Case एक बार फिर देश की राजनीति और न्याय व्यवस्था के केंद्र में आ गया है। उन्नाव रेप मामले में दोषी करार दिए गए पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को जमानत दिए जाने के फैसले के खिलाफ शनिवार (27 दिसंबर 2025) को संसद परिसर के पास जोरदार विरोध प्रदर्शन हुआ।
इस दौरान दिल्ली पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ता योगिता भायना, कांग्रेस नेता मुमताज पटेल और कई अन्य प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया।
📍 संसद के पास क्यों हुआ प्रदर्शन?
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, प्रदर्शनकारी शनिवार शाम करीब 4 बजे संसद परिसर के आसपास पहुंचे और सड़क पर बैठकर नारेबाजी शुरू कर दी। उनकी मांग थी कि:
- दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत को रद्द किया जाए
- पीड़िता को न्याय और सुरक्षा सुनिश्चित की जाए
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यह फैसला न्याय की भावना के खिलाफ है और इससे पीड़िता व उसके परिवार को खतरा हो सकता है।
🚨 पुलिस ने क्यों लिया हिरासत में?
दिल्ली पुलिस ने लाउडस्पीकर के जरिए बताया कि संसद के आसपास का इलाका प्रदर्शन के लिए निर्धारित नहीं है। प्रदर्शनकारियों से बार-बार स्थान खाली करने की अपील की गई, लेकिन जब वे नहीं माने, तो पुलिस ने उन्हें वहां से हटाकर हिरासत में ले लिया।
पुलिस का कहना है कि यह कार्रवाई कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए की गई।
⚖️ हाईकोर्ट के बाहर भी हुआ था विरोध
यह हिरासत उस प्रदर्शन के एक दिन बाद हुई, जब उन्नाव रेप पीड़िता की मां ने ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमेन्स एसोसिएशन और योगिता भायना के साथ मिलकर दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर प्रदर्शन किया था।
पीड़िता की मां ने कहा था कि वह हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगी और उन्हें देश की सर्वोच्च अदालत पर पूरा भरोसा है।
🏛️ कुलदीप सेंगर को क्यों मिली जमानत?
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार (23 दिसंबर) को 2017 के उन्नाव रेप केस में दोषी ठहराए गए कुलदीप सिंह सेंगर को उनकी अपील के निपटारे तक जमानत देने का आदेश दिया था।
हालांकि अदालत ने कुछ कड़ी शर्तें भी लगाईं, जिनमें शामिल हैं:
- पीड़िता के घर के 5 किलोमीटर के दायरे में प्रवेश पर रोक
⛓️ फिर भी जेल में क्यों रहेंगे सेंगर?
गौरतलब है कि कुलदीप सिंह सेंगर फिलहाल जेल से बाहर नहीं आएंगे, क्योंकि वे उन्नाव रेप पीड़िता के पिता की कस्टोडियल डेथ मामले में 10 साल की सजा भी काट रहे हैं। इस मामले में उन्हें अब तक जमानत नहीं मिली है।
Unnao Rape Case से जुड़ा यह मामला सिर्फ एक कानूनी लड़ाई नहीं, बल्कि न्याय, सुरक्षा और संवेदनशीलता से जुड़ा बड़ा सवाल बन चुका है। जमानत के फैसले के बाद बढ़ते विरोध और पीड़िता की सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी ने इस केस को एक बार फिर राष्ट्रीय बहस के केंद्र में ला दिया है।
आने वाले दिनों में अब सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट के रुख पर टिकी रहेंगी।
