एमपी में विकास या नशे को बढ़ावा? घर में बार खोलने का लाइसेंस देने पर उठे सवाल

भोपाल।

MP home bar license: क्या यही मध्य प्रदेश का विकास मॉडल है?
न्यू ईयर से ठीक पहले मध्य प्रदेश आबकारी विभाग के एक फैसले ने राजनीतिक और सामाजिक बहस छेड़ दी है। राजधानी भोपाल में अब लोग अपने घर में ही बार खोलने का लाइसेंस ले सकेंगे। विभाग का दावा है कि यह कदम नियमबद्ध और नियंत्रित शराब सेवन को बढ़ावा देगा, लेकिन सवाल उठ रहा है—क्या यह विकास है या नशे को बढ़ावा?


घर में बार, सिर्फ 500 रुपये में लाइसेंस

आबकारी विभाग के अनुसार, न्यू ईयर पार्टी के लिए घर में शराब परोसने का एक दिन का लाइसेंस मात्र 500 रुपये में मिलेगा।
इस लाइसेंस के तहत तय सीमा में शराब की बोतलों का स्टॉक रखा जा सकेगा और निजी पार्टी में दोस्तों को आमंत्रित भी किया जा सकेगा।


होटल, गार्डन और सामुदायिक भवनों के लिए अलग शुल्क

सिर्फ घर ही नहीं, बल्कि

  • सार्वजनिक सामुदायिक भवन / गार्डन – ₹5,000
  • होटल और रेस्टोरेंट – ₹10,000

में एक दिन के लिए अंग्रेजी शराब उपयोग का लाइसेंस दिया जाएगा।


बड़े आयोजनों के लिए लाखों का लाइसेंस

जहां कार्यक्रमों में टिकट के जरिए एंट्री होती है, वहां लाइसेंस शुल्क और बढ़ जाता है—

  • 500 लोगों तक – ₹25,000
  • 1,000 से 2,000 – ₹50,000
  • 2,000 से 5,000 – ₹1,00,000
  • 5,000 से अधिक – ₹2,00,000

यह व्यवस्था बड़े न्यू ईयर इवेंट्स को ध्यान में रखकर बनाई गई है।


ऑनलाइन आवेदन की पूरी प्रक्रिया

एक दिन के विदेशी मदिरा लाइसेंस के लिए

  1. मध्य प्रदेश आबकारी विभाग की वेबसाइट पर जाएं
  2. “New License” मेनू में मोबाइल नंबर दर्ज करें
  3. OTP से लॉगिन करें
  4. स्टेप-बाय-स्टेप फॉर्म भरें
  5. ऑनलाइन शुल्क जमा करें

इसके अलावा e-Abkari Connect App से भी लाइसेंस स्वतः जनरेट किया जा सकता है।


आबकारी विभाग का पक्ष

जिला आबकारी कंट्रोलर आर.जी. भदौरिया ने बताया कि क्रिसमस और न्यू ईयर के दौरान

  • बिना लाइसेंस बार और ढाबों पर सख्त कार्रवाई होगी
  • आबकारी टीम रातभर गश्त करेगी
  • अवैध शराब परोसने वालों पर तुरंत केस दर्ज किया जाएगा

उन्होंने लोगों से अपील की कि सार्वजनिक या अवैध स्थानों पर शराब सेवन न करें


लेकिन सवाल बरकरार…

जहां एक ओर सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार को विकास की कसौटी बताती है, वहीं दूसरी ओर घर-घर बार लाइसेंस की नीति कई सवाल खड़े कर रही है—

  • क्या इससे नशे की प्रवृत्ति नहीं बढ़ेगी?
  • घरेलू हिंसा और सड़क हादसों का खतरा कौन लेगा?
  • क्या यही सामाजिक विकास है?

न्यू ईयर की चमक के बीच यह फैसला अब नीति बनाम नैतिकता की बहस का केंद्र बन चुका है।

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