चोरी के शक में छत्तीसगढ़ के मजदूर की पीट-पीटकर हत्या, ‘बांग्लादेशी हो?’ पूछकर किया गया हमला

Kerala Mob Lynching Chhattisgarh Worker: देश में मॉब हिंसा की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं।
केरल के पलक्कड़ जिले में एक बार फिर इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है, जहां छत्तीसगढ़ के एक प्रवासी मजदूर की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई।

यह घटना न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि पहचान के आधार पर हिंसा और भीड़ के न्याय की खतरनाक मानसिकता को भी उजागर करती है।


👷‍♂️ कौन था मृतक?

मृतक की पहचान 31 वर्षीय रामनारायण भैयार के रूप में हुई है।
वह छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले का रहने वाला था और केरल के कांजीकोड इलाके में रहकर मजदूरी करता था।

रामनारायण बुधवार शाम अट्टाप्पल्लम ईस्ट (वालायार के पास) इलाके में मौजूद था, जब स्थानीय लोगों के एक समूह ने उस पर हमला कर दिया।


🦴 “बांग्लादेशी हो?” पूछकर किया गया हमला

घटना का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें हमलावर रामनारायण से पूछते दिख रहे हैं—
👉 “तुम बांग्लादेशी हो?”

इसी दौरान उसे चोर बताकर बेरहमी से पीटा गया।
पुलिस के अनुसार, हमले का उद्देश्य गंभीर नुकसान पहुंचाना था और पीड़ित को कई गंभीर चोटें आईं।


🚑 अस्पताल पहुंचने से पहले टूट गई सांसें

गंभीर रूप से घायल रामनारायण को एंबुलेंस से पलक्कड़ जिला सरकारी अस्पताल ले जाया गया।
हालांकि, हालत नाजुक होने के कारण उसी रात उसकी मौत हो गई


🏘️ स्थानीय लोगों का दावा और परिवार का सच

स्थानीय निवासियों का दावा है कि रामनारायण ने कथित तौर पर कुछ घरों में घुसने की कोशिश की थी।
उनका कहना है कि दोपहर करीब 3 बजे विवाद हुआ और बाद में पुलिस उसे अस्पताल ले गई।

लेकिन दूसरी ओर, मृतक के परिवार ने इन आरोपों को पूरी तरह झूठा बताया है।

परिवार के अनुसार—

  • रामनारायण का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था
  • उसके पास से कोई चोरी का सामान बरामद नहीं हुआ
  • वह निर्दोष था और सिर्फ शक के आधार पर मार दिया गया

👮‍♂️ पुलिस कार्रवाई, पांच आरोपी हिरासत में

पुलिस ने इस मामले में अब तक पांच लोगों को हिरासत में लिया है।
अधिकारियों का कहना है कि—

  • सभी से अलग-अलग पूछताछ की जा रही है
  • हर आरोपी की भूमिका तय की जा रही है
  • आगे और गिरफ्तारियां संभव हैं

जांच अभी जारी है।


🕯️ मद्दू लिंचिंग की याद दिलाती घटना

यह घटना 2018 में पलक्कड़ के अट्टाप्पडी इलाके में हुई आदिवासी युवक मद्दू की मॉब लिंचिंग की दर्दनाक यादें ताजा कर देती है।

एक बार फिर सवाल उठता है—
👉 क्या भीड़ को कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार है?
👉 क्या गरीब और प्रवासी मजदूर सबसे आसान निशाना बनते रहेंगे?


Kerala Mob Lynching Chhattisgarh Worker सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि समाज के सामने खड़ा एक कड़वा सच है।
जब शक, अफवाह और पहचान के नाम पर इंसान की जान ले ली जाए, तो यह लोकतंत्र और कानून दोनों के लिए खतरे की घंटी है।

अब निगाहें प्रशासन और न्याय व्यवस्था पर टिकी हैं—
क्या पीड़ित को न्याय मिलेगा?

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